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________________ नोट- छ: से भाग देनें का कारण यह है कि दशम भाव से लग्न तक तीन भाव मध्य और तीन भाव सन्धि (प्रारम्भ ) पड़ते है । प्राप्त हुए षष्ठांश के दशम भाव के मध्य रेखांश में बारी-बारी जोड़ते जाने से क्रमशः अगले भावों के भाव मध्य व सन्धि रेखांश प्राप्त हो जायेंगे। दशम भाव मध्य रेखांश 1 रा 24° 150 9o दशम एवं ग्यारहवें भाव सन्धि रेखांश ग्यारवां भाव मध्य रेखांश ग्यारहवां एवं बारहवों भाव सन्धि रेखांश बारहवां भाव मध्य रेखांश बारहवां एवं प्रथम भाव सन्धि रेखांश चतुर्थ भाव मध्य रेखांश 56 = + (+) 11 = || || = = = 2रा 6 राशि 15° 2रा 24° 15° 09o 150 = उरा उरा 24° 15° = 4रा 24° 4रा 09o 15° 29" 35" 29" प्रथम भाव मध्य रेखांश 4" अब प्राप्त हुए स्पष्ट भाव मध्य रेखांश और भाव सन्धि रेखांश में 6 राशि जोड़ देने से भाव के सामने वाले भाव मध्य और भाव सन्धि रेखांश स्पष्ट हो जायेंगे। जैसे: • दशम भाव का मध्य रेखांश 1 रा 24° 1' 7रा 24° 5' 06' 1812 12 13 12 2018 ल 05' 12' 05' 17' 05' 23' 05' 05' 34' 10" 29" 39" 29" 8" 01' 29" 37" 29" 06" 10" 1' 10"
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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