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30. Sadhe Sati - Good or Bad?
पाठ 30. साढे साती- अच्छी या बुरी
हिन्दु समाज साढ़े साती का नाम सुनकर हो ही घबरा जाता है। क्योंकि सब के मन में यह धारणा घर कर गई है कि साढ़े साती का प्रभाव जातक पर अशुभ होता है। ज्योतिषी भी इस धारण का पूरा लाभ उठाते हैं। परन्तु अनुभव में आया है कि साढ़े साती सबके लिए अशुभ नहीं होती। श्रीमति इन्दिरा गाँधी, भारत की भूतपूर्व प्रधान मन्त्री, साढ़ साती में ही पहली बार लाल बहादुर शास्त्री की केबनिट में मन्त्री बनी। लोगों का साढ़े साती में पदोभाति, उच्चपद, शादी, वाहन आदि प्राप्त होते है। इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रत्येक जातक के लिए साढ़े साती अशुभ नहीं होती। साढे. साती में शनि जन्म चन्द्रमा के 12वें, जन्म चन्द्रमा तथा उससे दूसरे भाव में गोचर करता है तो चन्द्रमा प्रभावित होता है। चन्द्रमा मन, धन तथा माता का मुख्य कारक है तो मन में बेचैनी, धन हानि या तंगी तथा माता पीड़ित होती है। चन्द्रमा बहुत ही संवेदनशील ग्रह है। इसके 12वें तथा दूसरे भाव में ग्रह का होना आवश्यक रहता है। यदि 12वें, 2रे या साथ में कोई भी ग्रह नहीं होतो केमुद्रुम योग बनाता है जातक निर्धन रहता है। इसलिए चन्द्रमा से केन्द्र, 12वें तथा 2रे भाव में ग्रह का होना जातक के मन के लिए उत्तम है। यदि नैसर्गिक अशुभ ग्रह चन्द्रमा से केन्द्र, 12वें 2रे या साथ में स्थित हो तो जातक का मन हमेशा पीड़ित रहता है। शनि सब अशुभ ग्रहों में धीमें चलता है। इसलिये शनि का चन्द्रमा से 12वें, केन्द्र, चन्द्रमा के साथ या 2रे भाव में चन्द्रमा को पीड़ित करता है। मन को पीड़ित करने का यह अर्थ कदापि नहीं कि जातक भीख का कटोरा हाथ में पकड़कर भीख मांगता है। माता-पिता की मृत्यु, स्थान परिवर्तन बच्चों के साथ परेशानियां, उच्च पद के कारण अधिक जिम्मेदारियां आदि सब मन को पीड़ित करती है तथा जातक को बेचैन करती है। धन प्राप्त होता है। उच्च पद प्राप्त होता है। महर्षि ने एकादशेश की दशा को अशुभ बताया है। जिसमें सुख के साधन प्राप्त होते है परन्तु जीव, मन दुःखी रहता है। शायद इसीलिए ही पाश्चात्य सभ्यता में पले लोगों के पास सब सुख-सुविधा के साधन होने के बाबजूद उनका मन सुखी नहीं। इसलिए साढ़े साती जातक के लिए शुभ रहेगी या अशुभ इसका अध्ययन करने के लिए हमें गोचर के कुछ नियमों का ध्यान करना पड़ेगा।
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