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Description of Houses
भावों की संज्ञाएँ हम जानते हैं कि भाव बारह होते हैं। उन भावों को विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस अध्याय में हम उनका परिचय देंगे। जन्म कुण्डली में लग्न केन्द्र बिन्दु होता है। महर्षियों ने जीवन को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष को प्राप्त करने का साधन माना है। इसलिए कुण्डली को भी धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष के तीन परिराशि में बांटा है।
काम
धर्म
लग्न 5 9 भाव अर्थ
26 10 भाव
3 7 11 भाव मोक्ष
48 12 भाव केन्द्र भाव 147 7 10 भाव त्रिकोण भाव
9 भाव पणफर भाव 258
11 भाव अपोक्लिम भाव 369 12 भाव चतुरस्र भाव
8 भाव उपचय भाव 3 6 10 11 भाव अनुपचय भाव 1 2 4 5 7 8 त्रिकया दुष्ट भाव 6 8 12 भाव । पतित भाव 6 12 भाव मारक भाव
7 भाव आयु भाव 38 भाव योग कारक ग्रह
9
12 भाव
यदि कोई ग्रह केन्द्र तथा त्रिकोण का स्वामी होता है तो वह ग्रह योगकारक कहलाता है जैसे (क) वृष लग्न शनि 9 तथा 10 भाव का स्वामी (ख) तुला लग्न शनि 4 तथा 5 भाव का स्वामी