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इसमें उत्पन्न जाततक वैज्ञानिक शोध करता है। सेना में उच्च पद पर होता है उदार धनी तथा सौभाग्य शाली होता है।
पंचमहापुरुष योग
यदि मंगल मेष या वृश्चिक राशि (स्वराशि ) में या मकर (उच्चराशि) में केन्द्र में स्थित हो तथा लग्न बलवान हो तो रूचक योग बनता है ।
इसमें उत्पन्न जातक साहसी, पराक्रमी सेना नायक तथा अच्छे गुणों के लिए प्रसिद्ध होता है । जातक दीर्घजीवि, आकर्षक, गठित शरीर वाला होता है। भद्र योग
यदि बुध स्वराशि (मिथुन या कन्या) या उच्चराशि (कन्या) में स्थित लग्न से केन्द्र में हो तथा लग्न बलवान हो तो भद्र योग होता है ।
इसमें उत्पन्न जातक की मुखाकृति सिंह के समान, घुटने से पांव तक हाथी के समान, चौड़ी छाती, कामुक विद्वान हाथ तथा पैर कोमल, योग विद्या में निपुण होता है।
जब कन्या या मिथुन राशि केन्द्र में स्थित होगी तो दूसरी राशि भी केन्द्र में होगी अर्थात बुध दो राशियों का स्वामी होता हुआ केन्द्र का स्वामी भी होगा और उसे केन्द्राधिपति दोष लगेगा यदि दूसरी राशि सप्तम भाव में पड़ेगी तो उसे मारक भाव का स्वामी होने का भी दोष होगा अशुभत्व बढ़ जाएगा। ऐसी स्थिति में बुध कहां स्थित है, किससे युक्त या दृष्ट है या क्या अवस्था है के आधार पर फल देगा ।
हंस योग
जब बृहस्पति स्वराशि (धनु या मीन) या उच्च का होकर लग्न से केन्द्र में स्थित हो तथा लग्न बलवान हो तो हंस योग होता है।
इस योग में उत्पन्न जातक शासक सरकारी सेवा में उच्च पदाधिकारी, उत्तम व्यक्तित्व वाला होता है। उत्तम भोजन का शौकीन होता है। धर्म ग्रन्थों का ज्ञाता तथा सब सुख सम्पन्न होता है ।
मालव्य योग
यदि शुक्र स्वराशि (वृष या तुला ) या अपनी उच्च राशि (मीन) में लग्न से केन्द्र में स्थित हो तथा लग्न बलवान हो तो मालव्य योग होता है ।
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