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4. केमद्रुम योग सूर्य के अतिरिक्त यदि कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से 1,2,12 भाव में या लग्न से केन्द्र में कोई न हो केमद्रुम योग होता है। यह अशुभ योग होता है। इसमें जातक दरिद्र, बुद्धिहीन विपत्तियों व दुखों से पीड़ित होता है। यदि यह योग जन्म कुण्डली में हो तो अन्य शुभ योग नष्ट हो जाते है। केमद्रुम योग भंग 1. यदि कोई ग्रह लग्न से केन्द्र में हो 2. यदि कोई ग्रह चन्द्रमा से केन्द्र में हो या चन्द्रमा युक्त हो। 3. यदि चन्द्रमा लग्न से केन्द्र में स्थित हो। 4. चन्द्रमा को सभी ग्रह देखें तो केमद्रुम योग नष्ट हो जाता है।
5. गजकेसरी योग
1. यदि बृहस्पति चन्द्रमा से केन्द्र में (1,4,7,10) स्थित हो 2. यदि बुध या शुक्र चन्द्रमा के साथ युति या दृष्टि हो। (पाराशर) तो गजकेसरी योग बनता है। इसमें उत्पन्न जातक महान् कार्य करने वाला, सभा में कुशल पूर्वक बोलने वाला होता है। इसमें चन्द्रमा में बल होना आवश्यक है। अन्य ग्रह भी बलवान होने चाहिये। कुछ विद्वान ज्योतिषी बृहस्पति को लग्न से भी केन्द्र में स्थित होने पर गज केसरी योग मानते हैं। 6. चन्द्राधियोग यदि चन्द्रमा से 6,7,8 भाव में शुभ ग्रह हो तो चन्द्राधियोग बनता है। जो जातक इस योग में उत्पन्न होता है सेना का अध्यक्ष, राज या मन्त्रि बनता है। यह ग्रहों के बल पर निर्भर करता है। अमला योग यदि लग्न या चन्दमा से दशम भाव में बलवान शुभ ग्रह हो तो अमला योग "कीर्तियोग बनता है। इसमें उत्पन्न जातक राज्य, बन्धु व जनता का प्रिय, महा भोगी, दानी, परोपकारी, धर्मात्मा गुणी होता है।
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