SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ और रक्तविकार युक्त एवं अधिकव्यय करने वाला होता है। 7. सातवें भाव में मंगल हो तो जातक वातरोगी, राजभीरु, शीघ्रकोपी, कटुभाषी, स्त्रीदुःखी, धूर्त, मूर्ख, निर्धन, घातकी, धननाशक एवं ईर्ष्यालु होता है। 8. आठवें भाव में मंगल हो तो जातक व्याधिग्रस्त व्यसनी, मद्यपायी, कठोरभाषी, उन्मत्त, नेत्ररोगी, शस्त्रचोर, संकोची, अग्निमीरु, धनचिन्ता युक्त एवं रक्तविकारयुक्त होता है। 9. नौवें भाव में मंगल हो तो जातक अभिमानी, क्रोधी, नेता, द्वेषी, अल्पलाभ करने वाला, यशस्वी, असन्तुष्ट, भातृविरोधी, अधिकारी एवं ईर्ष्यालु होता है। 10. दसवें भाव में मंगल हो तो जातक कुलदीपक, स्वाभिमानी सन्तति कष्टवाला, धनवान्, सुखी उत्तम वाहनों से सुखी एवं यशस्वी होता है। 11. ग्यारवें भाव में मंगल हो तो जातक धैर्यवान्, न्यायवान्, प्रवासी, साहसी, लाभ करने वाला, क्रोधी, झगड़ालू, दम्भी एवं कटुभाषी होता है। 12. बारहवें भाव में मंगल हो तो जातक नेत्ररोगी, स्त्रीनाशक, उग्र ऋणी, झगड़ालू, मूर्ख, व्ययशील एवं नीच प्रकृति का पापी होता है। बुध 1. लग्न (प्रथम) में बुध हो तो जातक आस्तिक, गणितज्ञ, दीर्घायु, उदार - विनोदी, वैद्य, विद्वान, स्त्रीप्रिय मितव्ययी एवं मिष्टभाषी होता है। 2. द्वितीयभाव में बुध हो तो जातक सुखी, सुन्दर, वक्ता, साहसी, सत्कार्यकारक, संग्रही, दलाल या वकील का पेशा करने वाला, मिष्टाभभोजी, गुणी एवं मितव्ययी होता है। 3. तृतीयभाव में बुध हो तो जातक सद्गुणी, कार्यदक्ष, परिश्रमी, मित्रप्रेमी, भीरु, धर्मात्मा, यात्राशील, व्यवसायी, चंचल, अल्पभ्रातृवान्, विलासी, सन्ततिवान्, कवि, सम्पादक, सामुद्रिकशास्त्र का ज्ञाता एवं लेखक होता है। 4. चतुर्थभाव में बुध हो तो जातक पण्डित भाग्यवान् नीतिवान्, नीतिज्ञ, लेखक, विद्वान् बन्धुप्रेमी, उदार गतिप्रिय आलसी स्थूलदेही वाहनसुखी एवं दानी होता है। 100 1
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy