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________________ कार्यशील,धर्मात्मा. सन्तति-सम्पत्तियुक्त सुखी, साहसी एवं अल्पभ्रातृवान् होता 10. दसवेंभाव में चन्द्रमा हो तो जातक कार्यकुशल, व्यापारी, कार्यपरायण, सुखी, यशस्वी, विद्वान्, कुल-दीपक, दयालु, निर्बल बुद्धि, सन्तोषी लोकहितैषी, मानी, प्रसन्नचित्त एवं दीर्घायु होता है। 11. ग्यारहवें भाव में चन्द्रमा हो तो जातक गुणी, चंचलबुद्धि, सन्तति और सम्पत्ति से युक्त, सुखी, यशस्वी, लोकप्रिय, दीर्घायु, मन्त्रज्ञ, परदेशप्रिय एवं राज्यकार्यदक्ष होता है। 12. बारहवें भाव में चन्द्रमा हो तो जातक मृदुभाषी, चिन्ताशील, एकात्तप्रिय, क्रोधी, कफरोगी, चंचल, नेत्ररोगी एवं अधिक व्यय करने वाला होता है।, मंगल 1. लग्न (प्रथम) में मंगल हो तो जातक, चपल, क्रूर, महत्वाकांक्षी, विचार रहित, गुप्तरोगी, उतावला, लौहधातु एवं व्रणजन्य, कष्ट से युक्त, व्यवसायहानि, दुर्घटना की सम्भावना, दुःखी, निर्धन एवं साहसी होता है। 2. द्वितीय भाव में मंगल हो तो जातक कटुभाषी, नेत्रकर्ण रोगी, कतिक्त रसप्रिय, धर्मप्रेमी, चोर से भक्ति, कुटुम्ब क्लेश वाला, पशुपालक, निर्बुद्धि एवं निर्धन होता है। 3. तृतीयभाव में मंगल हो तो जातक कटुभाष, भ्रतृकष्टकारक, प्रदीप्त जठराग्निवाला, बलवान्, बन्धुहीन, सर्वगुणी, साहसी, धैर्यवान् प्रसिद्ध एवं शूरवीर होता है। 4. चतुर्थभाव में मंगल हो तो जातक सन्ततिवान्, मातृसुखहीन, वाहनसुख, प्रवासी, अग्निभययुक्त, अल्पमृत्यु चा अपमृत्यु प्राप्त करने वाला, कृषक, बन्धुविरोधी एवं लाभ युक्त होता है। 5. पंचम भाव में मंगल हो तो जातक बुद्धिमान्, चंचल, गुप्तरोगी, कृशशरीरी, रोगी, विशेष रूप से उदररोगी, व्यसनी, कपटी, उग्रबुद्धि एवं सन्तति-क्लेश युक्त होता है। 6. छठेभाव में मंगल हो तो जातक बलवान्, धैर्यशाली, प्रबल जठराग्नि, कुलवन्त, प्रचण्ड शक्ति, शत्रुहन्ता, ऋणी, दादरोगी, क्रोधी, पुलिस अफसर, व्रण
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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