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1. Evolution of Palmistry and History
अध्याय-1. हस्त रेखा की उत्पत्ति और इतिहास
जिन मनीषियों ने हस्तविज्ञान की खोज की, उसे समझा और व्यवहारिक रूप दिया, उनकी विद्वता के ठोस प्रमाण आज भी मौजूद हैं। भारत के ऐतिहासिक युग के स्मारक हमें बताते हैं कि रोम और यूनान की स्थापना से वर्षों पूर्व इस देश के मनीषियों ने ज्ञान का इतना अमूल्य भण्डार एकत्र कर लिया था कि उसकी सराहना समूचे विश्व में हुआ करती थी, और इन्हीं विद्वानों में हस्त रेखा विज्ञान के जन्म दाता भी थे, उन्ही के बनाये हुए सिद्धान्त अन्य देशों में पहुंचे। हस्तरेखा से सम्बन्धित अब तक जितने भी प्राचीन ग्रंथ पाये गये हैं उनमें वेद एवं सामुद्रिक शास्त्र सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथ है। यही वेद और शास्त्र यूनानी सभ्यता और ज्ञान का मूल श्रोत था। अत्यन्त प्राचीन युग में इस विज्ञान का प्रचलन चीन, तिब्बत, ईरान, और मिश्र जैसे देशों में आरम्भ हुआ लेकिन इन देशों में इसमें जो सहयोग स्पष्टता और एकरूपता हमें दिखायी देती है वह वास्तव में भारतीय सभ्यता की देन है। संसार भर में भारतीय सभ्यता को सर्वाधिक उच्च और विवेक पूर्ण माना जाता रहा है। जिसे हम हस्त रेखा विज्ञान या कीरोमेंसी कहते हैं वह भारत के अलावा यूनान में भी पला और पनपा यूनानी शब्द कीर का अर्थ है, जो हाथ से विकसित हुआ हो।