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________________ हस्तरेखा विज्ञान के साथ-साथ शारीरिक विज्ञान, सामुद्रिक, ज्योतिष, यंत्र, रत्न आदि का ज्ञान होना भी आवश्यक होता है। इस बात को अच्छी तरह से ध्यान में रखना चाहिए कि पुस्तक के अलावा प्रैक्टिकल जब तक नहीं किया जायेगा, तब तक सही अनुभव नहीं हो पायेगा। विवाह रेखा का अध्ययन करते समय कई जगहों से निर्णय करना चाहिए। हाथ में कभी-कभी इतनी बारीक रेखाएँ दिखायी देती हैं कि हम उन्हें चिंता रेखा कहें, कैरियर लाइन कहें या सिस्टर लाइन कहें, यह बात पूर्णरूप से समझ में नहीं आती। ऐसी स्थिति में सामुद्रिक शास्त्र का सहयोग लेना उचित होगा। हाथ देखने वाले विशेषज्ञ के स्वयं के हाथ में चन्द्र रेखा (लाइफ ऑफ इन्ट्यूशन) हो तो वह अपनी अर्न्तदृष्टि से जो कहेगा वह सही होगा। हाथ की रेखाओं में समय घटना व दिन का पता लगा पाना बड़ा कठिन होता है। जब हाथ के अनेक भाग मिश्रित होते हैं तो ऐसी स्थिति में पर्वत, रेखा, नाखून, मणिबन्ध, तथा हाथ का रंग एवं देश काल परिस्थिति को आधार मानकर भविष्य बताया जाता है। महिलाओं के हस्त परीक्षण में बायां हाथ देखने के बाद काल व घटना निर्धारण हेतु दाहिने हाथ को भी आधार माना जायेगा। अगर किसी के हाथ में पांच से ज्यादा या कम संख्या में अंगुलियाँ है तो अंग वृद्धि विषय को आधार मानकर ही उसका निर्णय होगा तथा यह भी निर्भर करता है कि व्यक्ति के किस अवस्था में अंग वृद्धि या अंग हीनता हुई है। यदि किसी का दाहिना हाथ न होगा तो बायें हाथ का पूर्ण अध्ययन करने के पश्चात् सामुद्रिक शास्त्र के आधार पर शरीर के अन्य लक्षण देखने के पश्चात् ही भविष्यवाणी की जायेगी। प्रायः अंगुलियों में एक ही गांठे होती हैं, परन्तु कभी-कभी किसी हाथ में एक से अधिक संख्या में गांठे होती हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का कार्यकलाप एवं भूतकाल के समय को ध्यान में रखकर निर्णय लेने से सटीकता होती है। दाहिने हाथ से कार्य करने वाले का दाहिना एवं बायें हाथ से कार्य करने वाले का बांया हाथ देखना ठीक उतरता है।
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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