________________
महत्वाकांक्षा है और कुछ घमंड। हृदय रेखा अधिक दीर्घ है, इस कारण भावनात्मक प्रवृति इनमें ज्यादा है। कई रेखाएं नीचे से चलकर हृदय रेखा पर जा रही है। इस कारण ये अपना प्रेमजाल इधर उधर फेंकते फिरते हैं। निरंतर किसी को प्रेम न करके ये व्यभिचार को अधिक पसंद करते हैं। हृदय रेखा बाद में पतली हो गई है इस कारण इन्हें कभी-2 प्रेम में भीषण निराशा भी होती है। शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली यह सूर्य रेखा अनेक रेखाओं को काटती हुई अपने स्थान पर पहुंच रही है। इस कारण इनकी उन्नति किसी महिला के सहयोग से ही होगी। वह स्त्री इनकी प्रेमिका या पत्नी कोई भी हो सकती है। इस हाथ में शीर्ष रेखा समान्य स्थान से उंची है और चन्द्र क्षेत्र की ओर जा रही है इस कारण इन्हें गुप्त विद्या पसंद है। गुप्त विद्या में ये वासना पूर्ति से संबंधित अनेक बातों का ज्ञान रखते हैं। कई शाखाएं शीर्षरेखा और हृदय रेखा में मिल रही है और उनमें वर्ग, त्रिभुज का निर्माण हो रहा है। इस कारण बुद्धि विवेक कम है। अन्य लोगों से इनपर आकर्षण और प्रभाव पड़ता है। इनका उत्साह एवं आत्मविश्वास कई बार नष्ट होता पाया गया है। भाग्य रेखा शीर्षरेखा में रूक रही है वहां से पुनः बृहस्पति क्षेत्र में पहुंच रही है अतः प्रेम भावना के कारण बाधा उत्पन्न होगी। परन्तु गुरु के प्रभाव से प्रेम संबंध से सहायता द्वारा अभिलाषा पूर्ण होगी। जीवन रेखा की एक शाखा चन्द्र क्षेत्र में जाने से इनके जीवन पथ पर अनेक यात्रा एवं कठिनाईयां है। शनि क्षेत्र पर क्रास का निशान होने से स्वार्थ के कारण इन्हें अनेक घटनाओं का सामना होगा अतः भावुकता अधिक पायी जाएगी। मणिबंध रक्तवर्ण की जंजीनुमा में इस कारण इन्हें वाचाल एवं पैसे का शत्रु कहा जा सकता है। इनकी मणिबंध अधूरी भी है इस कारण इन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। तर्जनी के प्रथम पोर पर गुणन का चिन्ह होने से धार्मिक कट्टरता इनमें अधिक है। मध्यमा के प्रथम पोर पर जाली का निशान होने से इनमें दूराचरन की भावना भी पायी जाती है। अनामिका के तीसरे पोर में स्टार ने से इन्हें वाचाल, हठी भी कहा जा सकता है। मध्यमा के तीसरे पोर पर बहुत सी खड़ी रेखाएं हैं, जिस कारण ये निर्दयी भी हैं।
169