________________
3.स. यदि सूर्य क्षेत्र पर अनेक रेखायें हो तो व्यक्ति अधिक कल्पनाशील और कलाप्रिय होता है पर पूर्ण सफलता कम प्राप्त कर पाता है। 1.शुक्र क्षेत्र- शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा की यह प्रथम अवस्था होती है यह जीवन भाग्य, मस्तिष्क एवं हृदय रेखा को काटती हुई सीधी अपने स्थान रविक्षेत्र पर पहुंचती है। शुक्र क्षेत्र प्रेम का प्रतीक है, स्त्री का द्योतक है। इस कारण उसकी उन्नति किसी महिला के द्वारा होती है, वही उसको भूमि, सम्पदा, धन आदि से सम्पन्न करती है। यह स्त्री स्वयं की पत्नी या प्रेमिका हो सकती है जो कि पवित्र प्रेम करती है। 2.जीवन रेखा क्षेत्र- इससे निकलने वाली रेखा व्यक्ति को कलात्मक बनाती है, उसकी यह कला विभिन्न रूप धारण करती है और विभिन्न श्रोतों
से उसका परिचय देती है। वह एक सिद्ध हस्त दस्तकार, दर्जी, शिक्षक, शिल्पी, गायक और संगीतज्ञ, तान्त्रिक तथा अभिनेता हो सकता है, इनकी कलाओं में आकर्षण होता
यह कला इन्हे यश प्रदान करती है, किन्तु इन्हें परिश्रम द्वारा ही धन प्राप्त होता है, इन्हें सामान्य धनाभाव भी होता है। ये सौन्दर्य के अंधे और परम उपासक होते हैं। इन्हे परिवार
द्वारा सफलता नहीं मिलती, ये स्वतः के बलबूते पर उन्नति करते हैं तथा स्वावलम्बी होते हैं। इनके माता-पिता कम, शिक्षा के स्वामी होते हैं, निर्धन निष्क्रिय और संसार विरक्त भी पाये जाते हैं। सात्विक हाथ में यह रेखा अच्छी और निकृष्ट हाथों में सामान्य मानी जाती है।
105