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________________ मंत्र यंत्र और तंत्र त्रा स्त्रीं स्वीं क्ष्मं जं नः य: ऐं क्रम वार तिथि १. रवि २. ३. ऋतु विचार एक दिन की साठ घड़ियों का उपयोग छहों ऋतुएं भी करती हैं । प्रत्येक दिन में ६ ऋतुएं इस प्रकार आती हैं- पूर्वाह्न सूर्योदय से चार घंटे तक लगभग ११ बजे तक के समय को बसंत ऋतु कहते हैं । मध्याह्न लगभग ११ बजे से ३ बजे तक के समय को ग्रीष्म ऋतु कहते हैं। ३ बजे से सूर्यास्त तक को शिशिर ऋतु, पूर्व रात्रि लगभग सूर्यास्त से चार घंटे तक लगभग ११ बजे तक के समय को वर्षाऋतु, मध्य रात्रि लगभग ११ बजे से तीन बजे तक को शरद ऋतु और रात्रि के अन्त लगभग तीन बजे से सूर्योदय तक के समय को हेमन्त ऋतु कहते हैं। १-८-९ ५. सोम २-९ मंगल ३,६,८,१३ ४. बुध २, ७, १२ चंडी बीज है। स्त्री बीज है। इन्दु बीज है। पीठ बीज है I मंत्र अधिकार सृष्टि बीज है। मल बीज है। अचल बीज है। वाग् बीज है। गुरु ५,१०,११,१५ ६. शुक्र १,६,११,१३ मुनि प्रार्थना सागर शुभ तिथि, वार एवं नक्षत्र नक्षत्र हस्त, पुनर्वसु, रेवती, मृगसिर, तीनों उत्तरा पुष्य, मूल, अश्विनी, धनिष्ठा मृगसिर, रोहिणी, अनुराधा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, श्रवण, शतभिषा, पुष्य अश्विनी, रेवती, उत्तराभाद्र, मूल, विशाखा, उत्तरा फा., कृतिका, मृग, पुष्य, आश्लेषा अनु, श्रवण, ज्येष्ठा, पुष्य, हस्त, कृतिका, रोहिणी, पूर्वाषाढ़, उ.फा. पुष्य, अश्विनी, पुनर्वसु, पूर्वा फा., पूर्वाषाढ़, पू.भा., आश्लेशा, धनि, विशा, रेवती, स्वा., विश., अनु. । रेवती, अश्विनी, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, अनु., मृगसिर, श्रवण, धनिष्ठा, पू.फा., पुनर्वसु । 89
SR No.009370
Book TitleMantra Yantra aur Tantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L020
File Size1 MB
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