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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
८. यदि मंत्र साधना में कोई रक्षक देवी-देवता किसी प्राणी रूप या किसी अन्य रूप में
साधना के समय सामने आ जाये, तो साधक को बिलकुल भी नहीं घबराना चाहिए। ९. मंत्र साधना में माला, आसन, धोती-दुपट्टा आदि कपड़े उसी रंग के उपयोग में
लेना चाहिए जो विधि में बतलाये गये हों। १०. मंत्र की उपासना, साधना, आराधना, ध्यान, पूजन और जाप पूर्ण श्रद्धा-विश्वास
पूर्वक करना चाहिए। ११. मंत्र साधना के बीच यदि मलमूत्र के लिए जाना पड़े तो कायोत्सर्ग पूर्वक स्थान छोड़ें
एवं ग्रहण करें तथा जाप के कपड़े पहनकर कभी भी मलमूत्र विसर्जन न करें।
अर्थात् वस्त्रों की शुद्धि का पूर्ण ध्यान रखें। १२. मंत्र साधक को ओढ़ने-बिछाने के कपड़े सफेद रंग के उपयोग में लेना चाहिए या
फिर जो रंग के वस्त्र जाप विधि में बतलाये हों वैसे ही कपड़े लेना चाहिए। १३. मंत्र साधना में शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाना चाहिए, लेकिन बाई तरफ धूप
रखना चाहिए और दाहिनी तरफ दीपक रखना चाहिए। १४. प्रत्येक मंत्र साधना के लिए जो वस्त्र, आसन, माला, दिशा, समय, मुद्रा और
दीपकादि दिया रहता है उसी के अनुसार जप करें। चार्ट पीछे देखें पेज नं. (91) १५. यदि मंत्र साधना में कोई निश्चित दिशा न बतलाई गई हो तो फिर पूर्व दिशा में मुख
करके ही बैठना चाहिए। १६. स्थान स्वच्छ व शुद्ध होना चाहिए। हर रोज झाडू लगाकर उसे गीले कपड़े से
पौंछना चाहिए। १७. अन्य व्यक्तियों के साथ वार्तालाप व उनका स्पर्श नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे
दूषित परमाणुओं से पवित्रता नष्ट होती है। १८. असत्य नहीं बोलना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए तथा जहाँ तक हो सके मौन
रहना चाहिए। १९. भोजन व पानी लेते समय मूल मंत्र से अभिमंत्रित कर ग्रहण करना चाहिए। २०. जमीन पर ही सोना चाहिए। वह भी जहां पर साधना की जाय उसी के पास व
नीचे कपड़ा या चटाई बिछाकर सोना चाहिए व अंधेरे में नहीं सोना चाहिए। २१. हजामत नहीं बनानी चाहिए तथा गरम पानी से स्नान नहीं करना चाहिए, साबुन
आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। २२. किसी को शाप या आशीर्वाद नहीं देना चाहिए तथा किसी की भी निन्दा आलोचना नहीं करना चाहिए।
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