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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर मंत्री इस मंत्र को नाम सहित गौरोचन से भोजपत्र पर लिखकर धागे में लपेट कर पीपल के वृक्ष की खोखल में रख दें। यह मंत्र जब तक वहाँ रहता है तब तक साध्य के यहाँ बिना विघ्न के बड़ी भारी वर्षा होती रहती है। यह मंत्र उसी प्रकार से जब तक रोहिणी वृक्ष की खोखल में रखा रहता है तब तक साध्य भी उसके वश में रहता है। (5) वर्षा कराने का मंत्र ॐ नमो रम्लयूँ ( स्म्लयू) मेघ कुमारणं, ऊँ ह्रीं श्रीं क्ष्यम्ला मेघ कुमारणं वृष्टिं कुरू कुरू ह्रीं संवौष्ट् । विधि- इस मन्त्र का एक लाख विधिपूर्वक जप करें। जब पानी बरसाना हो तब उपवास कर पाटा पर मन्त्र लिखकर पूजा करें, पानी बरसेगा। ___ (117) मेघस्तम्भन मंत्र (1) मेघस्तम्भन मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं सों क्षं क्षं क्षं मेघकुमारेभ्यों वृष्टि स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा। विधि : श्मशान में प्यासे जपें तो मेघ स्तंभन होय। (2) जल स्तम्भन वायु मंत्र : ऊँ नमो भगवते वायवे मर्दय-२ प्रमर्दय-२ स्तंभय-२ हिरि संहर-२ ठः ठः। विधि : यह वायु मंत्र एक लाख जप से सिद्ध होकर जल का स्तंभन करता है। (3) वर्षा रोकने का मंत्र -ॐ ह्रीं श्रीं (क्षी) सों ौं क्षा मेघ कुमारेभ्यो वृष्टिं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा। विधि- श्मशान में प्यासा बैठकर जाप करें, तो मेघ का स्तंभन हो जायेगा, बादल उमड़-उमड़ कर आयेंगे परन्तु वर्षा नहीं होगी। (4) मेघ स्तंभन-ॐ नमो भगवते रूद्राय मेघं स्तंभय-स्तंभय ठः ठः ठः स्वाहा। विधि- मंत्र का 108 बार जाप करके दो ईंटों के मध्य श्मशान के अंगारे रखकर सूने स्थान पर गाड़ देने से वर्षा नहीं होती। (118) पृथ्वी में से धन निकालने का मंत्र (1) ॐ नमो ब्रह्माणि प्रपूजिते नमोस्तु तेभ्यस्त्रयशीतिकपाल शूलिनि मयि स्वाहा। विधि - इस मंत्र के जाप से सफेद आक की रूई की बत्ती वाले दीपक में रात्रि के समय तेल जलाकर देखने से मनुष्य को पृथ्वी में गड़ा धन दिखाई देता है। (2) ॐ हीं प्रज्वलित ज्योति दिशायां स्वाहा। विधि - संदिग्ध पृथ्वी के भाग में अट्ठाईस द्वार आदि के खंड बनाकर लें और कृतिका आदि के चन्द्रमायुक्त मंत्र को वहाँ डालें। (3) : हरा ( हीं ) जिष्णु (ऊँ) में सूक्ष्म बिन्दु और ईकार लगाकर उनके बीच में चन्द्रमा - 190
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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