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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
वश्यं कुरु-२ स्वाहा। विधि- ७ कंकरियों को १०८ बार मंत्रित कर चारों दिशाओं में फेंकने से चोर चोरी नहीं
कर पाते तथा रास्ते का भय नहीं रहता। (3) चोर भय दूर मंत्र- ॐ अढे मढे चोर घढे सर्व दुष्ट भक्षी मोहिनी स्वाहा। विधि- इस मंत्र से पत्थरों को मंत्रित करके दशों दिशाओं में फेंकने से चोर का भय नहीं
होता। (4) चोर मुंह से खून डाले मंत्र- ॐ नमो कामरू देश कानक्ष्यादेवी लंकामाहि चांवल
उपाय: किसका चोर किसका चावल पीर कानुगाधीर में रामनुका चाउल चिडा चोर को मुख लागै साह उंगण उखावै चौर के मुख लोही नी बह्यावाच विष्णु वाच सूर्य
चन्द्रमा वाच पवन वाणी वाच। विधि- इस मंत्र से चावल २१ बार मंत्रित कर चबावें तो चोर के मुँह से खून निकले। (5) मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं हः ज्वां ज्वी ज्वालामालिनी चोर कंठं ग्रहण-२ स्वाहा। विधि- शनिवार रात्रि चावल धोप २१ बार को हाँडी माँहि घालिये। प्रभात गुहली देय,
२१ बार चांवल खवाबै चोर के मुंह से लहू कडै। (6) चोर की आँखें बांधने का मंत्र : " ॐ धणु धणु महाधाणु धणु स्वाहा।" विधि : इस मंत्र को मार्ग में जपने से चोर की आंखें बंध जाती हैं।
(116) वृष्टि कारक मंत्र (1) वृष्टिकारक मंत्र : ऊँ नमो स्म्ल्यूँ मेघकुमार ऊँ ह्रीं श्रीं म्ल्यूँ मेघकुमाराणं वृष्टिं
कुरू कुरू ह्रीं संवौषट्। विधि : प्रथम एक लाख जपकर सिद्ध कर लें। तत्पश्चात् जब मेघ बरसाना हो तब
उपवासपूर्वक पाटा पर लिखकर पूजन करें व जपें। तब पानी बरसे। (2) वृष्टिकारक मंत्र : ऊँ नमो ह्म्ल्यूँ मेघकुमाराणं ऊँ ह्रीं श्रीं नमो स्म्ल्यूँ मेघकुमारिणां
___ वृष्टिं कुरू कुरू ह्रीं संवौषट् । विधि : १२ हजार जप से शीघ्र वर्षा होती है। (3) वृष्टि कारक मंत्र- ओं मेघोल्काय स्वाहा। विधि- जिस देश में वर्षा न होती हो वहां जल के अन्दर खड़ा होकर सात रात्रि तक मंत्र
जपने से बड़ी भारी वृष्टि होती है। (4) वृष्टि कारक यक्षिणी मंत्र - ॐ सेने द्विकर जिन युक्ते प्रभंजिनि सुकेशिनि ठः ठः। विधि- यह यक्षिणी देवी का मन्त्र एक लक्ष जप से सिद्ध होता है। इस मंत्र को जपकर केशों को छूने से तुरन्त वर्षा हो जाती है।
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