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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
लिखकर मार्ग में डाल दें, तो उससे उन दोनों में विरोध हो जाएगा। (2) शीघ्र विद्वेषण- ॐ नमो भगवती श्मशान कालिके (अमुक स्यामुकेन) विद्वेषय
हन- हन , पच-पच, मथ-मथ ॐ फट् स्वाहा। विधि- हवन कुंड को श्मशान की आग से प्रज्ज्वलित करें खेजड़े व खैर की लकड़ी का
उपयोग करें तथा नीम के पत्ते व कडुवा तेल, तिल, जौ, अक्षत को मिलाकर दसहजार आहुतियाँ दें। यह कार्य शनिवार या मंगलवार को ही करें, निश्चित ही विद्वेषण होय। लेकिन पाप लगता है इसलिए ऐसा कार्य न करें जिससे बाद में
आपको दुःख हो। (3) विद्वेषण मन्त्र : ॐ ह्रां अर्हद्भ्यो हूँ फट्, ॐ ह्रीं सिद्धेभ्यो हूँ फट्, ऊँ हूँ आचार्योभ्यो
हूँ फट्, ऊँ ह्रौं पाठकेभ्यः हूँ फट, ऊँ ह्रः सर्वसाधुभ्यो हूँ फट् । विधि : कार्य सिद्धि तक प्रतिदिन १०८ बार जपें।
(62) पौष्टिक मंत्र । (1) पौष्टिक मंत्र : ऊँ ह्राँ अर्हद्भ्यः स्वधा ऊँ ह्रीं सिद्धेभ्यः स्वधा, ऊँ हूं आचार्येभ्यः
स्वधाः, ऊँ ह्रौं पाठकेभ्यः स्वधा, ऊँ ह्रः सर्वसाधुभ्यः स्वधा। विधि : कार्य सिद्धि तक प्रतिदिन १०८ बार जप करें।
(63) परविद्या छेदन मंत्र (1) परविद्या छेदन मंत्र : ॐ रक्त जट्ट रक्त रक्त मुकुट धारिणि परवेध्य संहारिणी उदलवेधवंती सल्लुहाण विसल्लुचूरी फुट पूर्वहि आचार्य का आज्ञा ह्रीं फट् स्वाहा। विधि : इस मंत्र की जप करने से परविद्या का छेदन होता है। (2 )परमन्त्र छेदक मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविद्ये येन केनचित् मह्यं दुष्कृतं कारितं
अनुमतं वा तदुष्कृतं तस्यैव गच्छतु ओं ह्रीं श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविद्ये स्वाहा। विधि : प्रात:काल पूर्व दिशा की ओर और सायं पश्चिम की ओर मुख करके २१ दिन तक अंजलि जोड़कर १०८ बार जप करने से परमंत्र का छेद होता है। (3) परविद्या छेदन मंत्र- धुणसि चंचुली लवं कुली पर विद्या फट् स्वाहा हूँ फट्
स्वाहा। विधि- इस मंत्र का स्मरण करने से परविद्या का स्तम्भन होता है। (4) पर विद्या छेदन मंत्र-ॐ रक्त जट्ट रक्त रक्त मुकुट धारिणि परवेध संहारिणी उदलवेधवंती
सुल्लुहणि विसल्लु चूरी फटु पूर्वहि आचार्य की आज्ञा हीं फट् स्वाहा। विधि- इस मंत्र का जाप करने से पर विद्या का छेदन होता है। (5) परविद्या छेदन मंत्र- ॐ स्फ्र: हूँ फट्।
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