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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि- इस मंत्र का जाप करने से पर विद्या का छेदन होता है। (6) प्रतिविद्या छेद मंत्र- ॐ णमो पत्तेय बुद्धाणं। विधि- १०८ बार जपने से परविद्या का छेद होता है। (7) परविद्या का छेदन मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविद्ये येन येन केनचित् मम पापं कारितम् अनुमतं वा तत् पापं तमेह गच्छतु ॐ ह्रीं श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविधे स्वाहा। विधि- प्रातः पूर्वाभिमुख हो तथा शाम को पश्चिमाभिमुख होकर अंजलिबद्ध मुद्रा में १०८ बार जपने से परविद्या का छेदन होता है। (8) परविद्या छेदन मंत्र- ओं ह्रीं उग्ग तवाणं ॐ ही दित्त तवाणं ॐह्रीं तत्त तवाणं ॐ ह्रीं पडिमापडिवन्नाणं नमः स्वाहा। विधि- इस मंत्र को १०८ बार पढ़कर मोरपंख से झाड़ा देना चाहिए। फलत: दूसरों के द्वारा किया हुआ अनिष्ट प्रयोग नष्ट हो जायेगा। भूत-प्रेत का दोष टलेगा, शीत ज्वर, उष्ण ज्वर दूर होगा। __ (64) उच्चाटन मंत्र (1) उच्चाटन मंत्र : ॐ जूं सः अमुकं उच्चाटय उच्चाटय सः ऊँ। विधि : इस मंत्र की एक लाख जप करें तो उच्चाटन होगा। (2) परकृत उपद्रव शान्त मंत्र- ॐ णमो भयवदो वड्ढमाणस्स रिसहस्स चक्कं जलंतं गच्छइ आयासं पायालं लोयाणं भूयाणं जये वा विवादे वा थंभणे वा रणांगणे वा रायं गणे वा मोहेण वा सव्वा जीवसत्ताणं अपराजिदो मम भवदु रक्ख रक्ख स्वाहा। विधि- इस वर्द्धमान महाविद्या को उपवास करके एक हजार जप सुगंधित पुष्पों से करें, दशांश होम करें तो ये मंत्र सिद्ध हो जाये। फिर कहीं से भय आने वाला हो अथवा आ गया हो तो सरसों हाथ में लेकर सर्वदिशाओं में फेंक देने से आगत उपद्रव भय, परकृत विद्याएं सर्व स्तम्भित हो जाएंगे। घर में स्मरण मात्र से ही शान्ति हो जायेगी। विलक्षण फल गुरुगम्य है। (3) उपसर्ग नाशक मंत्र- ॐ नमो अमिय सवीणं झौं झौं स्वाहा। विधि- इस मंत्र का जाप करने से सर्व प्रकार का उपसर्ग नाश होता है। (4) जादू टोना का निवारण मंत्र-हरि खिल्लुं गडि खिल्लुं चामुंडा खिल्लुं दुष्ट पिशुन चिल चिलां तडई पारि प्ररई। विधि- इस मंत्र को सात दिन तक प्रतिदिन 21 बार जल को मंत्रित कर पिलने से तथा 31 बार मंत्र से झाड़ा देने से मूठ-जादू टोना आदि का प्रभाव समाप्त होता है। (5) जादू टोना का उच्चाटनादि- ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः जक्ष ह्रीं वषट् नमः स्वाहा। - 159
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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