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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर स्तंभन होता है। (12) स्तंभन मंत्र- ॐ हीं श्रीं अहँ अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट विचक्राय अग्नि मेघ वायु कुमार स्तंभय-२ स्वाहा। (13) वीर्य (शुक्र) स्तंभन मंत्र- (अ) ॐ शुक्र कामाय स्वाहा। विधि-कुंवारी कन्या द्वारा कतित सूत्र को २१ बार मंत्रित करके फिर ७ बार मंत्र को पढ़कर उस सूत्र को कमर में बांधने पर वीर्य (शुक्र) का स्तंभन होता है। (14)वीर्य-स्तंभन मंत्र- ॐ ज्येष्ठ शुक्रवारिणि स्वाहा। विधि- कुंवारी कन्या द्वारा कतित सूत्र से सात गांठ लगावें फिर उस डोरे को कमर में बांधने से वीर्य का स्तंभन होता है। (15) वीर्य-स्तंभन मंत्र- ॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय मनोभिलाषितं स्तंभनं कुरु-कुरु स्वाहा। विधि- दूध को १०८ बार अभिमंत्रित कर पीने से वीर्य- स्तंभन होता है। (16) गर्भ-स्तंभन व शुक-स्तंभन मंत्र- ॐ रहु रहु हो श्वेत वर्ण पुरुष रहु रहु हो हरि धवल पुरुष रह रहु हो शंख चक्र गदाधर रह रहु। विधि- कुमारी कन्या के हाथ से कते हुए सूत के ७ डोरे लें। प्रत्येक डोरे पर एक-एक बार मंत्र पढ़कर उनको मिला लें। फिर सात बार मंत्र पढ़कर एक गांठ दें। इस तरह १६ गांठ दें। उसे स्त्री की कमर में बांध दें तो गर्भ-स्तंभन हो व पुरुष की कमर में बांध दें तो शुक्र-स्तभंन हो। (17) गर्भ स्तम्भन तंत्र “ॐ ह्रीं गर्भधारिणी गर्भस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा। महिला २१ दिन तक १-१ माला फेरें। शिवलिंगी के बीज ९-९ दिन तक ले तो नियम से गर्भ रहे। (18) चींटी स्तम्भन मंत्र : ऊँ नमो सुग्रीवाय हनुमंताय सर्वकीटिका भक्षिकाय पिपीलिका विप्रे प्रवेश प्रवेश स्वाहा। विधि : जब रविवार को सूर्य संक्रमण करता है तब रात्रि को १०८ बार मंत्र जपकर सरसों को चींटियों के नगर (नाल) पर फेंकने से चींटियाँ सर्वथा चली जाती हैं। (61) विरोध कारक (विद्वेषण ) मंत्र (1) विरोध कारक मंत्र : ॐ ह्रीं श्री अ सि आ उ सा अनाहतविद्ये ह्रीं हूँ अमुकयो विद्वेषं कुरू कुरू स्वाहा। विधि : यह मन्त्र सात दिन तक १०८ बार जपें। फिर श्मशान के अंगारे की राख व खलादि रसों के द्वारा भोजपत्र पर कौए के पंख से लिखें, शत्रु का नाम भी 157
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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