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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि - शनिवार, रविवार और मंगलवार की रात्रि में इस मंत्र से काली उड़द को १०८ बार मंत्रित कर शत्रु के घर में डालने से शत्रु शांत हो जाता है। (2) दुष्ट निवारण मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अमुकं दुष्टं साधय साधय अ सि आ उ सा नमः । अथवा-ॐ अर्हं अमुकं दुष्टं साधय साधय अ सि आउ सा नमः । विधि : इस मंत्र को २१ दिन तक १०८ बार जपें तो शत्रु शान्त हो जाता है । (3) दुष्ट पराजय मंत्र - ॐ पार्श्वयक्षदिव्यरूपाय महर्षण एहि आं क्रों ह्रीं नमः । विधि- इस मंत्र को श्रद्धापूर्वक जपने से दुष्ट दुश्मनों की पराजय होती है तथा उपद्रव शान्त होते हैं। ( 4 ) दुश्मन का क्रोध नष्ट मंत्र - ॐ चामुण्डे कुर्यम दंडे अमुक हृदय मम हृदयं मध्ये प्रवेशय प्रवेशय प्रवेशय स्वाहा । विधि - इस मंत्र को पढ़ता जावे और जिस दिशा में क्रोधी मानव हो उस दिशा में सरसों फेंकता जावे तो क्रोध नष्ट हो जाता है। ( 5 ) शत्रु का राजकुल नष्ट होय मंत्र - णंहू सव्व सएलो मोण, णंयाज्झावर मोण, यारियआ मोण, द्धासि मोण णंता हंरअ मोण । विधि - चौथ, चतुर्दशी या शनिवार को धूल को चुटकी में लेकर मंत्र पढ़ता हुआ तीन बार फूंक कर जिस पर डालें वह वश में होय । मंत्र पढ़ते हुए सामने, दाएँ ३ दें तो हवा से बादलों की तरह शत्रु का राजकुल नष्ट हो जाता है। ३ फूँक ( 6 ) दुश्मन निवारण मंत्र - (अ) ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्व दुष्टान् स्तंभय-स्तंभय ठः ठः ठः । अथवा (ब) ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्वदुष्टान् स्तंभय - स्तंभय मोहय मोहय जृंभय-जृंभय अन्धय-अन्धय वधिरय - वधिरय मूकवत् कराय-कराय कुरु कुरु ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः । विधि - यदि दुष्मन हमला करने आवे तो इसमे से किसी भी मंत्र का मुट्ठी बांध कर १०८ बार जाप करके मुकाबले को जावें, तो दुश्मन भागे । (7) सभी प्रकार के कष्ट और शत्रु निवारक : णट्ठट्ठ मयट्ठाणे पणट्ठ कम्मट्ठ नट्ठ संसारे । परमटठ् णिट्ठि अटठे अट्ठगुणाधीसरं वंदे । विधि : राई, नमक, नीम के पत्ते, कड़वी तुम्बी के बीजों का तेल और गूगल इन पाँचों को एकत्रित कर उक्त मंत्र से मंत्रित करें । पश्चात् पिछले पहर में प्रतिदिन ३०० बार२१ दिन तक मंत्र बोलते हुए हवन करें, सभी प्रकार के कष्टों और शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा। 144
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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