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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि - इस मंत्र को भोजपत्र पर गोरोचन से लिखकर, लाल डोरे में डालकर कमर में बांधे तो हर प्रकार के भय से रक्षा हो। (7) दुष्ट भय निवारण मंत्र- ॐ ह्रीँ अहँ नमः क्षीं स्वाहा। विधि- प्रतिदिन १०८ बार जाप करें। (8) भय हरण मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ असि आ उ सा अनाहत विजये अहँ नमः । विधि- इस मंत्र की श्रद्धा पूर्वक प्रतिदिन १ माला जाप करें तो सर्व भय दूर हों। (9) सर्व भय निवारण मंत्र- ॐ णमो जिणाणं जियभयाणं कित्तणेणसभयाइं उवसंमतु ह्रीं स्वाहा। विधि- भोजपत्र पर गोरोचन व कुंकुम से लिखें तथा लाल डोरे से कमर में बांध लें तो हर प्रकार के भय से रक्षा होगी। (10) सर्व भय निवारण मंत्र- ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू ऐं नमः स्वाहा। विधि- शुभ मुहुर्त में पूर्व की ओर मुंह करके जाप शुरू करें। १२५००० जाप होने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। उसके बाद निम्न रुप से प्रयोग में लाया जा सकता है१. सात बार जाप करके शत्रु का नाम लेकर मुंह पर हाथ फेरें, शत्रु वश में हो। २. एक माला फेर कर जो भी कार्य शुरू करें, सफल हों। ३. मुकदमा या विवाद में २१ बार पढ़कर जावें, तो सफल हों। ४. व्यापार के लिए जिस गांव या नगर में जायें वहां की नदी या तालाब पर पहले एक माला फेरें, फिर प्रवेश करें, तो सफल हों। (11) दुश्मन की सेना मैदान छोड़कर भागे- ॐ ह्रीं भैरवरूप धारिणि चण्डथूलिनि प्रतिपक्षा सैन्यं चूर्णय चूर्णय धूर्मय धूर्मय भेदय भेदय ग्रस ग्रस पच पच खादय खादय मारय मारय हूँ फट् स्वाहा। विधि- १०८ बार जाप कर चारों ओर लकीर खींचने से दुश्मन की सेना मैदान छोड़कर भाग जाती है। (12) सर्वभय निवारण मंत्र : ऊँ णमो अरहंताणं अभयदयाणं चरकुदयाणं मयदयाणं सरदधाणं ऐं ह्रीं सर्वभय विद्वावणायै नमः। विधि : इस मंत्र का जाप करने से सर्व प्रकार के भय, राजभय, शत्रुभय आदि दूर हो जाते हैं। (49) सर्वशत्रु शान्त मंत्र (1) सर्व शत्रु शांत मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं 'अमुक' दुष्ट साधय-साधय अ सि आ उ सा नमः । 143
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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