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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (3) दरिद्रता नाश के लिए- “ॐ ह्रीं दारिद्रय विनाशने अष्टलक्ष्मयै ह्रीं नमः" । विधि-दीपावली की रात्रि में कमलगट्टे या स्फटिक की माला से पूर्व दिशा में मुख करके दीपक जलाकर निम्न मंत्र का जाप करेंपहले मंत्र का उत्कीलन करें "ॐ श्रीं क्लीं ह्रीं सप्तशति चण्डिके उत्कीलन कुरु कुरु स्वाहा।" ( 45 ) व्यापार वृद्धि मंत्र (1) दुकान खोलते समय बोलने का मंत्र-ॐ णमो भगवते विश्वचिन्तामणि लाभ दे, रूप दे, जश दे, जय दे, आनय आनय महेश्वरी मन वांछितार्थ पूरय पूरय सर्व सिद्धिं ऋद्धिं वृद्धिं सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- दुकान खोलते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र को २७ बार उच्चारण करके दुकान का ताला खोलें एवं परमात्मा का नाम स्मरण कर दुकान में प्रवेश करें तो दुकान अच्छी चलेगी। (2) व्यापार वृद्धि मंत्र- ॐ ह्रीं व्यापार वृद्धि रहितयोपद्रव निवारकाय श्री शान्तिनाथाय नमः। विधि-त्रिकाल मन्दिरजी में अथवा घर में १०८ बार पढ़ें। (3) वस्तु विक्रय मंत्र- णट्ठट्ठ मयट्ठाणे पणट्ठ कम्ट्ठ णट्ठ संसारे। परमट्ठ णिट्ठियढे अढे गुणाधीसरंवंदे ॥ विधि- इस मंत्र का पीली सरसों अथवा छोटे-छोटे सात पत्थरों पर १०८ बार जाप करके कोई भी वस्तु सामान में मिला दें तो वस्तुओं की बिक्री अच्छी होती है। विशेष दुर्बुद्धि का नाश होय, राज से भय टले, अष्ट सिद्धि व नव निधि की प्राप्ति होय, प्रताप बढ़े, रोगादि नष्ट होय, सुख प्राप्त होय, १०८ सफेद पुष्पों को प्रतिदिन जप कर दस हजार जाप करें। (4) व्यापार में धन प्राप्ति मन्त्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय-पूरय चिंतां दूरय-दूरय स्वाहा। विधि- प्रतिदिन प्रातः काल मन्दिर जी में एक माला जाप करना चाहिए। (5) व्यापार में लाभ मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं अहँ अ सि आ उ सा अनाहतविद्येयं अहँ नमः । विधि- इस मंत्र को दिन में तीन बार जपें तो व्यापार में लाभ होय सर्वत्र जय हो। (6) व्यापार में धन प्रप्ति- ॐ हीं श्रीं क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय-पूरय चिन्तां दूरय दूरय स्वाहा (१०८) (7)लाभ व जयदायक मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं अहँ अ सि आ उ सा अनाहत विद्येयं अहँ नमः। 140
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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