________________
मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
सिद्ध हो जाता है। देवी का एक चित्र पाटे पर रखकर, उसके सामने बैठकर साधना करनी चाहिए। हस्त नक्षत्र रूप आधार पर स्थित हाथ की पांच अंगुलियों को प्रतीक स्वरूप देवी का एक चित्र बनवा लेना चाहिए ।
चित्र की कल्पना : शनि की अर्थात् मध्यमा उंगली के प्रथम पोरवे के आधे भाग पर देवी का मुकुट सहित मस्तक होगा, उसके पीछे सूर्य मंडल होगा। देवी के आठ हाथ होंगे, जिनमें दाहिने तरफ पहला हाथ आशीर्वाद का हो, दूसरे हाथ में रस्सी, तीसरे हाथ में तलवार, चौथे हाथ में तीर हो । बाईं तरफ पहले हाथ में पुस्तक, दूसरे हाथ में घंटा, तीसरे हाथ में त्रिशूल और चौथे हाथ में धनुष हो । गले में आभूषण, ललाट में तिलक, कानों में कुण्डल, कमर में करधनी (आभूषण) व सुन्दर वस्त्र हों । पैर मणिबन्ध रेखा नीचे तक आयें। इस तरह देवी का चित्र बनाना चाहिए ।
फल : हस्तरेखा सामुद्रिक जानने वाला व्यक्ति यदि इसकी एक बार साधना कर लें और फिर रोज हाथ को इस मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कर उसे सर्वांग पर फेरें तो वह इसके फलस्वरूप हस्तरेखा द्वारा जन्मकुंडली बनाने में हाथ देखकर फल कहने में ही सदा सफल नहीं होता बल्कि उसके सूक्ष्म रहस्यों से भी परिचित होता है । पंचागुली देवी हस्त रेखाओं की अधिष्ठात्री देवी है। कहते हैं कि पाश्चात्य विद्वान् कीरो भी इसकी ही साधना किया करता था। पंचागुली देवी का यंत्र भी है, जिसे यंत्र अधिकार में विधि सहित दिया गया है । साधना करते समय यंत्र को भी बाजोटे (पाटे) पर रखना चाहिए ।
नोट : विशेष विधि-विधान देखें, हमारी " हस्त रेखा से जाने मनुष्यों का स्वभाव पुस्तक से ।
(2) पंचांगुली मंत्र : ऊँ ह्रीं पंचागुलीदेवी देवदत्तस्य आकर्षय आकर्षय नमः स्वाहा । विधि : शुक्लपक्ष की अष्टमी से यंत्र के सामने ४१ दिन तक १०८ बार जपें तो हजार गांव से मनुष्य अथवा स्त्री का आकर्षण होवे ।
"
(3) ऊँ ह्रीं पंचांगुली देवी अमुको अमुकी मम वश्यं श्र श्रां श्रीं स्वाहा ।
विधि : सोते समय यंत्र के सामने १३ दिन तक १०८ बार मंत्र जपें तो मन की इच्छा पूर्ण होती है । इच्छित व्यक्ति वश में होता है। यंत्र को छप्पर पर या छत पर बांध दें।
(4) ऊँ ह्रीं क्लीं क्षां क्षं फट् स्वाहा ।
विधि : यंत्र को शत्रु के वस्त्र पर श्मशान के कोयले से लिखे, मंत्र को १०८ बार धूपपूर्वक जपें, फिर यंत्र को एक कपड़े में बांधकर एक पत्थर में बांधे और फिर उसको कुएं में प्रवेश करावें । ऐसा ४१ दिन करें तो विद्वेषण होगा ।
(5) पंचांगुलीमूल मंत्र : ॐ ह्रीं श्री पंचागुली देवी सरीरे सर्व अरिष्टान् निवारणाय नमः
स्वाहा ठः ठः ।
124