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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(4) सर्व विघ्ननाशक आत्म रक्षाकारक मंत्र : "ॐ ह्रीं श्री कलिकुण्ड दंडाय धरणेंद्र
पद्मावती सहिताय अतुलबल वीर्य पराक्रमाय सर्वविघ्न विनाशनाय श्री पार्श्वनाथाय नमः आत्म रक्षां कुरू कुरू परविद्यां छिन्दि छिन्दि भिन्दि भिन्दि स्फ्रां स्फ्रीं स्फूं स्फ्रौं
स्फ्र: हूँ फट् स्वाहा।" विधि : इस मंत्र को प्रतिदिन १०८ बार लाल फूलों पर जाप करने पर शत्रुकृत सर्व उपद्रव
दूर होते हैं और आत्म तेज प्रगट होता है। (5) अंग व आत्म रक्षक मंत्र : ऊँ ह्रीं णमो अरिहन्ताणं पादौ रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं णमो सिद्धाणं कटिं रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं णमो आयरियाणं नाभिं रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं णमो उवज्झायाणं ह्रदयं रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं ब्रह्माण्डं रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं एसो पंच णमुक्कारो शिखां रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं सव्वपावप्पणासणो आसनं रक्ष रक्ष, ऊँ ह्रीं मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं आत्मरक्षां पररक्षां हिलि हिलि मातङ्गिनि स्वाहा। विधि : उक्त मंत्र का प्रातः प्रतिदिन शुद्ध होकर एक बार जाप करने से अंगरक्षा व
आत्मरक्षा होती है। (6) आपदा नाशक मंत्र : ऊँ नमो वृषभनाथाय मृत्युञ्जयाय सर्वजीव शरणाय परम पवित्रपुरुषाय चतुर्वेदाननाय अष्टादश दोष रहिताय सर्वज्ञाय सर्व दर्शिने अष्टमहाप्रातिहार्याय चतुस्त्रिंशदतिशय सहिताय श्री समवशरण द्वादश परिखावेष्टिताय ग्रहनागभूत यक्षराक्षस वश्यंकराय सर्वशान्तिकराय मम शिवं कुरू कुरू स्वाहा। (7)सर्वरक्षा मंत्र : ॐ हं यूं फट् किरिटिं-किरिटिं घातय-घातय परिविघ्नान् स्फोट्य स्फोट्य सहस्र खण्डान् कुरू कुरू परमुद्रां छिंद-छिंद परमन्त्रान् भिंद भिन्द हाँ हाँ झै वः फट् स्वाहा। विधि : सरसों पढ़कर चारों ओर फेंके। ब्रह्मचर्यपूर्वक इस मंत्र का जप करें और रात्रि में
भोजन न करें। (8) रक्षामंत्र- (अ) ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौ ह्र: श्रीं ह्रीं कलिकुंड दंड स्वामिन् सर्वरक्षाधिपतये
मम रक्षां कुरु कुरु स्वाहा। (ब) ॐ ह्रीं श्रीं कलिकुंड दंड पार्श्वनाथाय-धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय घातिकर्म क्षयंकराय,
अतुलबल वीर्य पराक्रमाय सर्वचिंता विघ्नबाधा विनाशनाय स्फ्रां स्फ्रीं स्फूं स्फ्रौं
स्फ्रः हूँ फट् स्वाहा । (स) ॐ क्षां क्षीं झू झें मैं क्षों क्षौं क्षं क्ष: नमोऽर्हते सर्वं रक्ष रक्ष हूँ फट स्वाहा। (द) ॐ ह्रीं अहँ णमो सर्व विघ्न विनाशक ॐ श्रां श्रीं श्रृं श्रः ठः ठः स्वाह। विधि - इन मंत्रों में से किसी भी मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए।
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