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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र- ॐ सहज सौगन्ध्य बंधुरांगस्य गंधलेपनं करोमि। ५. पुन: जल से अभिषेक करें । मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीमन्तं तीर्थंकर प्रतिकृति शुद्धोदकेन स्नपयामि। ६. अभिषेक के बाद प्रक्षालन करके नये वस्त्र पहिनावें। मंत्र- ॐ ह्रीं जिनांगं विविध वस्त्राभरणैः विभूषयामि। ७. नीचे लिखे वर्द्धमान मंत्र को सात बार पढ़कर प्रतिमाजी को स्पर्श करते हुए पुष्प
क्षेपण करें। वर्द्धमान मंत्र-ॐ णमो भयवदो वड्डमाणस्स रिसहस्स जस्स चक्कं जलं तं गच्छइ आयासं
पायालं लोयाणं भूयाणं जये वा विवादे वा रणांगणे वा थंभणे वा मोहणे वा
सव्वजीवसत्ताणं अपराजिदे भवदु मे रक्ख रक्ख स्वाहा। ८. नीचे लिखा मंत्र पढ़कर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- तपकल्याणक स्थापनार्थं पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् । ९. नीचे लिखा मंत्र पढ़कर प्रतिमा के सामने पुष्प क्षेपण करेंमंत्र- निष्क्रमणादौ तीर्थंकर कृत महादान स्थापनाय प्रतिमाग्रे पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् । १०. पालकी को शुद्ध कर पुष्प क्षेपण करें व स्वास्तिक बनायें। मंत्र- दिव्य शिविका स्थापनायात्र शिविकायां पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत् । ११. सभी प्रतिमाओं पर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- अत्रैवान्यासां प्रतिमानामुपरि पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत्। १२. विधिनायक प्रतिमा को पालकी में विराजमान करेंमंत्र- ॐ ह्रीं अहँ श्री धर्मतीर्थाधिनाथ भगवन्निह शिविकायां तिष्ठ तिष्ठेति स्वाहा। १२. गणधरवलय मंत्र को १०८ बार पढ़ें। (कोई भी एक।) मंत्र- १. ॐ ह्रीं झ्वी श्री अहँ अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट विचक्राय झौं झौं नमः।
२. ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट विचक्राय झौं झौं नमः। १३ चौंसठ ऋद्धि मंत्र १०८ बार पढ़ें। मंत्र- ॐ ह्रीं चतुः षष्ठी ऋद्धिसमृद्धगणधरेभ्यो नमः । १४ पालकी में से प्रतिमा को उठा कर शिला पर विराजमान करें। मंत्र- ॐ ह्रीं धर्मतीर्थाधिनाथ भगवन्निह सुरेन्द्र विरचित चन्द्रकान्त शिलोपरि तिष्ठ-तिष्ठ
स्वाहा।
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