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मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र
___ मुनि प्रार्थना सागर भोगापभोगार्थसंपादकधनेशरथापनाय तत् संपादनीययजमाने पुष्पाक्षतं क्षिपेत्। (१०) अंगुष्ठ में अमृत स्थापन मंत्र
नीचे लिखा मंत्र पढ़कर तीर्थंकर कुमार के अंगुष्ठ में अमृत स्थापित करेंमंत्र- ॐ ह्रीं श्री तीर्थंकरकुमारांगुष्ठेऽमृतं स्थापयामि।
॥ ३. तपकल्याणक विधि/मंत्र (१) राज्याभिषेक या युवराजत्व स्थापना मंत्र-(१६) मंजूषा आच्छादित मंत्र- ॐ ह्रीं श्री तीर्थराजस्य राज्याभिषेकं करोमि स्वाहा। * मंत्र पढ़कर प्रतिमा के आगे पुष्प क्षेपण करें।) मंत्र- ॐ ह्रीं अस्मिन् बिम्बे राज्याभिषेकं आरोपयामि। नोट : पांच तीर्थंकरों-( वासुपूज्य, मल्लि, नेमि, पार्श्व, महावीर ) के राज्याभिषेक नहीं
हुए, मात्र दीक्षाभिषेक हुए हैं। (२) राज्योचित सामग्री स्थापन
मंत्र पढ़कर राज्योचित सामग्री पर पुष्प क्षेपण करेंमंत्र- ॐ पुण्य विपाक संपादित स्वराज्य संपदुपभोग स्थापनाय पुष्पाणि प्रतिमोपरि विकरेत् । (३) स्वराज्य त्याग स्थापन* वैराग्य होते ही लौकान्तिक देवों द्वारा प्रशंसा-स्तुति। दीक्षा की तैयारी। * मंत्र पढ़कर प्रतिमाजी पर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- स्वराजत्याग स्थापनाय प्रतिमोपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत् । (४) दीक्षाभिषेक १. दीक्षाभिषेक के लिए प्रतिमाजी को स्नान पीठ पर विराजमान करें। मंत्र- १. ॐ ह्रीं अहँ धर्मतीर्थ..जिन भगवन्निह पाण्डुक शिलापीठे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा।
२. ॐ ह्रीं अर्ह तीर्थंकर प्रतिकृतिः स्नपनपीठे तिष्ठ तिष्ठ । २. श्लोक पढ़कर प्रतिमाजी पर पुष्प क्षेपण करें।
दीक्षोद्यमं मोक्षसुखैकसक्तं यं स्नपयां चक्रुरशेषशक्राः ।
समेत्य सद्यः परया विभूत्या तं स्नपयाम्यष्टशतैश्चकुम्भैः । ३. शुद्ध जल से अभिषेक करें। मंत्र- ॐ जय जय जय तीर्थंकरप्रतिकृतिं स्नपयामि। ४. गंध लेपन करें।
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