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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि - ११ रविवार के दिनों में रात्रि के समय सोने के पूर्व १०८ बार जप करने से ऋद्धिसिद्धि बढ़ती है। १६. ऋद्धि - ॐ ह्रीं अर्हं णमो चउदसपुव्वीणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं परमशान्तिविधायकाय श्री वृषभजिनपादाय नमः स्वाहा । विधि- प्रतिदिन प्रात: १०८ जप से राज सम्पदा प्राप्त होती है। १७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अट्टंग महाणिमित्त कुसलाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं ऐं सावय सावय ब्लू अर्हं नमः स्वाहा । विधि- प्रतिदिन १०८ जप से शोक संताप दूर होते हैं । १८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो विउणयट्ठिपत्ताणं । मंत्र - ॐ क्लीं क्लौं अ सि आ उ सा वरे सुवरे नमः स्वाहा । विधि - ११ मंगलवार को लगातार प्रातः १०८ जप से प्रतिद्वन्दियों की जीत होती है। १९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो विज्जाहराणं । मंत्र - ॐ ह्रीं क्ष्वों सु व देव आये अर्हत् उत्पत् उत्पत् स्वाहा। विधि - ऋद्धि-मंत्र की निरन्तर आराधना से साधक अतुल विभूतियों का स्वामी होता है तथा लोक में प्रतिष्ठा पाता है I २०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो चारणाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चक्रधारिणी चक्रेश्वरी देवी दुष्टान् हानय हानय स्वाहा । विधि- मंत्राराधन कर ऋद्धि मंत्र को भुजबन्ध में धारण करने से दुष्ट अपनी दुष्टता छोड़ देता है। २१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो पण्णसमणाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं हर हुं हः सर सुंसः क्लीं क्ष्वीं हूं फट् स्वाहा । विधि - इस ऋद्धि-मंत्र की आराधना से स्वामी क्रोध छोड़कर प्रसन्न होता है। २२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो आगासगामीणं । मंत्र - ॐ ह्रीँ ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः अनिलोपशम कुरु कुरु स्वाहा । विधि - एकान्त में मन्त्राराधना से अग्निभय दूर रहता है। २३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो आशीविसाणं । मंत्र - ॐ णमो श्रां श्रीं क्रौं क्ष्वीं ह्रीं फट् स्वाहा । विधि - १०८ जप से शत्रु वश में होता है, विजयलक्ष्मी प्राप्त होती है । २४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो दिट्ठिविसाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं नमो नमः सर्व सूरिभ्यः उपाध्यायेभ्यः ओं नमः स्वाहा । 212
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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