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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र ७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो बुद्धी । मंत्र - ॐ आँ क्रीं ह्रीं क्षीं क्लीं ब्लू द्राँ द्रीं ज्वालामालिनी स्वाहा विधि - २७ दिन तक प्रतिदिन १०८ जप से भयंकर विष दूर होते हैं। ८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अरिहंताणं णमो पादाणुसारिणं । मंत्र - ॐ नमो भगवते क्ष क्ष व व हम्र्व्यू विषधरगतिस्तम्भं कुरु २ स्वाहा । ९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अरिहंताणं णमो संभिण्णसोदारणं ह्रां ह्रीं हूँ फट् स्वाहा । मंत्र - ॐ ह्रीँ ह्रीं हूँ ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा सर्वशांति कुरु २ ॐ नमः स्वाहा । मुनि प्रार्थना सागर विधि - प्रात:काल स्नानादि करके एकाग्रमन से १०८ बार जप से नवग्रह के अरिष्ट निवारण होते हैं। 1 १०. ऋद्धि - ॐ ह्रीं अर्हं णमो सयंबुद्धीणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं ऐं महालक्ष्म्यै नमः स्वाहा । विधि - एकान्त में प्रातः एकाग्रचित्त से ४० दिन तक जपने से केवलज्ञान लक्ष्मी प्राप्त होती है। ११. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो पत्तेयबुद्धीणं । मंत्र- ॐ ह्रीं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती देवी हूं नमः स्वाहा । विधि - ऋद्धि- मंत्र का २१००० जप से ज्ञानावरणी कर्म का क्षयोपशम होता है। १२. ऋद्धि - ॐ ह्रीं अर्हं णमो वोहिबुद्धीणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं गं गं ओ गं गं नमो संकटविकटदुख निवारणाय् स्वाहा। विधि- वीतराग भगवान् के समक्ष १०८ बार जप से समस्त संकट दुखादि दूर होते हैं । १३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं ऋजुमदीं । मंत्र - ॐ झं झं यं यं क्रं उं वं बं लं क्षं एं ऐं ओ ओ ह्रः नमः स्वहा । विधि- ४२ दिन तक प्रतिदिन १०८ जप से वृश्चिक से सताये आदमी पर आजमायें तो उसका कष्ट दूर होता है। १४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो विपुलमदीणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नमि उणे विसहर विसह जिण फुलिंग ह्रीं श्रीं क्लीं नमः । विधि - ब्रह्मचर्य पूर्वक प्रतिदिन १००० जप करके १२५००० जाप करने से अधिष्ठातृ देवी प्रसन्न होती है। लक्ष्मी दिन प्रतिदिन बढ़ती है । १५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो दसपुव्वीणं । मंत्र - ॐ ह्रीं हं सः स्वाहा । 211
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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