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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(द्ध?) (सहिताय कारागार बन्धनं) मम रोगं छिन्द छिन्द स्तम्भय स्तम्भय जृभय
जुभय मनोवांछितं (त) सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा। फल- बन्दी बन्धन मुक्त होता है । रोग शान्त होते हैं। इष्ट कार्यों की सिद्धि होती है। ४४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमः। मंत्र- ॐ णमो धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय श्रीं क्लीं ऐं अहँ नमः स्वाहा। फल- लक्ष्मी की प्राप्ति और व्यापार में लाभ होता है।
कल्याण मन्दिर ऋद्धि- मंत्र जप विधिनोट- मन्त्र की साधना श्रद्धा सहित एकान्त स्थान में एकाग्रचित्त से करना चाहिये। भिन्न
भिन्न मन्त्र साधना में भिन्न-भिन्न दिशा- आसन व माला आदि का उपयोग किया जाता है। तथा धूप के लिए निर्धूम अग्नि का उपयोग किया जाता है।
(124. विषापहार स्तोत्र ऋद्धि- मंत्र १. ॐ ह्रीं अहँ णमो अरिहंताणं जिणाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं पुराणपुरुषोत्तम श्री ऋषभदेवाय नमः स्वाहा। विधि- प्रतिदिन १०८ जप से समस्त विघ्न नाश होते हैं। २. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो जिणाणं। मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्र: स्वाहा। विधि- प्रतिदिन १००० जप ११ दिन तक करने से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। ३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो परमोहिजिणाणं । मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अहँ अ सि आ उ सा नमः स्वाहा। विधि- प्रतिदिन ११००० जप ४१ दिन तक करने से मनोवांछित कार्य सिद्ध होते हैं। ४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वोहिजिणाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ नमः क्ष्वीं स्वाहा। विधि-नौ दिन तक प्रतिदिन ११०० जप से सर्व विघ्न बाधायें दूर होती हैं। ५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अणंतोहिजिणाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं क्रों विकट संकट निवारणेम्यः वृषभयक्षेभ्यो नमो- नमः स्वाहा। विधि- २१ दिन तक प्रतिदिन १००० जप से सब विकट संकट शान्त होते हैं। ६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो कुट्ठबुद्धीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं वृषभदेवाय ह्रीं नमः । विधि- ११दिन तक प्रतिदिन १००० जप से सब विषमविषों का नाश होता है।
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