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मंत्र अधिकार
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र यंत्र और तंत्र
३६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो ग्रा (ग्रां ? ) हुँ फट् विचक्राए ।
मंत्र- ॐ ह्रीं अष्ट महानाग कुलविष शान्तिकारिणि ( ण्यै ? ) नमः स्वाहा । फल- मंत्र के प्रभाव से काला नाग पकड़े तो काटे नहीं। मंत्रित कंकड़ सर्व पर फेंके तो वह कीलित हो जाता है । तथा उसका विष असर नहीं करता ।
३७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो स्वो (खो ?) भि ह्रीं खोभिए ।
मंत्र - ॐ नमो (x) भगवति (ते ?) सर्वराज प्रजावश्य (श ? ) कारिएि (णे?) नमः
स्वाहा ।
फल- यंत्र पास रखकर मंत्रित ७ कंकरों को क्षीर वृक्ष के नीचे उछालकर अधर में पकड़ ले। फिर उन्हें चौराहे पर डालने से राजा से मिलाप होता है। श्रेष्ठ पुरुषों से सम्मान मिलता है।
३८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो इट्ठि (ट्टि ?) मिट्टि (ट्टि ?) मरकं (भक्खं) कराए। मंत्र- ॐ जानवा (जनेवा) न्हारवापहारिण्यै भगवत्यै खङ्गारी दैव्ये नमः स्वाहा ।
फल- नहरुवा, जनेवा, उदर तथा ह्रदय पीड़ा नष्ट होती है । होली की राख को मंत्रित कर रोग शांत होने तक प्रतिदिन झाड़े ।
३९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो सता (त्ता ? ) वरिएगु ( ग ?) णिज्जं ।
मंत्र- ॐ नमो भगवते (अनुकस्य) सर्व ज्वर शांति कुरु कुरु स्वाहा ।
फल- सर्व ज्वर और सन्निपात दूर होता है। भोजपत्र पर यंत्र लिखकर धूप देकर रोगी के
गले में बाँधे ।
४०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो उन्ह ( ह ?) सीअ ( य ? ) णासए ।
मंत्र - ॐ नमो भगवते इम्यूँ नमः स्वाहा ।
फल- इकतरा, तिजारी, चौथिया आदि विषम ज्वर दूर होते हैं ।
४१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो वप्पला हव्व ( प्प ? ) ए ।
मंत्र - ॐ नमो भगवते वंभयारि नमो ह्रीं श्री क्लीं ऐं ब्लू नमः (स्वाहा) ।
फल - संग्राम में तीर, तलवार, बरछा, भाला आदि शस्त्र साधक को घायल नही कर पाते।
४२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो इत्थि वत्थ ( रत्त ?) (रोअ) णासए ।
मंत्र- ॐ नमो भगवते स्त्री प्रसूत रोगादि शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
फल- स्त्रियों का प्रदर रोग दूर होता है, बहता रुधिर रुकता है और गर्भ स्तम्भन होता है। ४३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो बदि मोक्ख (अ ?) या (गा) ए ।
मंत्र- ॐ नमो सिद्धि (द्ध ?) महासिद्धि (द्ध ? ) जगत् सिद्धि (द्ध ?) त्रैलोक्य सिद्धि
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