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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र- ॐ ह्रीं भगवत्यै गुणवत्यै नमः स्वाहा। फल- चोर, ठग, वगैरह के भय का नाश होता है। ११. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वारिवाल (पालण?) बुद्धए। मंत्र- ॐ सरस्वत्यै गुणवत्यै नमः स्वाहा। फल- यंत्र पास रखने में साधक पानी में नहीं डूबता। देवी रक्षा करती है, कुदेवों का भय
___नहीं रहता।
१२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अग्गल (भय) वजणाए। मंत्र- ॐ णमो (भगवत्यै) चण्डिकायै नमः स्वाहा। फल- अग्निभय नष्ट होता है। मंत्रित जल छिड़कने से अग्नि शान्त होती है। आराधक
अग्नि पर चल सकता है तो भी नहीं जल सकता। १३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो इक्खवज्जणाए। मंत्र- ॐ णमो भगवत्यै चामुण्डायै नमः स्वाहा। फल- सात दिन तक मन्त्रित जल खारे कुएँ वा बावडी में डालने से पानी मीठा हो जाता
१४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो झ् (झ?) सण (भय) झूस (झव?) णाए। मंत्र- ॐ णमो (महाराति) कालरात्रि (त्रये?) नमः स्वाहा।। फल- शत्रु क्रोध छोड़ देता है। निर्मल मन बन जाता है अथवा उसका नाश होता है। १५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो तक्खरधणप (व? प्पियाए। मंत्र- ॐ ह्रीं णमो गंघारि (रयै) नमः श्रीं क्लीं ऐं ब्लूं हूं स्वाहा। फल- चोरी गई वस्तु वापिस मिलती है। १६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो णगभयपणासए। मंत्र- ॐ णमो गौरी (गौर्यायै ?) इन्द्र (इन्द्रायै ?) वज्रे (वज्रायै) ह्रीं ह्रीं नमः स्वाहा। फल- पर्वत पर भी उपसर्ग नहीं होता है। वन में भय का विनाश होता है। १७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो कुद्ध (ट्ठ?) बुद्धि (ड्ढि ?) णासए। मंत्र- ॐ णमो धृतिदेव्यै ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू ऐं द्रां द्रीं नमः (स्वाहा) फल- यन्त्र पास रखने से वैर शान्त होता है। १८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सिद्धा सुणंति। मंत्र- ॐ णमो उ (सु) मतिदेव्यै विषनिर्णाशिन्यै नमः स्वाहा। फल- सर्प काटे (डसे) व्यक्ति के मुख-सिर-ललाट पर मंत्रित जल के छींटे उसके
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