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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
___ मुनि प्रार्थना सागर
[ 123. कल्याण मन्दिर स्तोत्र ऋद्धि-मन्त्र द्वितीय विधि १-२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पासं पासं पासं फणं। ओं ह्रीं अहँ णमो दव्वकराए। मंत्र- ॐ ह्रीं णमो भगवते अभीप्सितकार्य सिद्धि कुरु स्वाहा। फल- धन लाभ तथा मनोवांछित कार्य सिद्ध होता है। ३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो समुद्दे (द्द ?) भयं (य) साम्यति (समन ?) बुद्धीणं। मंत्र- ॐ भुगवत्यै पद्मद्रहनिवासिन्यै नमः स्वाहा। फल- जल का भय नहीं होता। पानी में जहाज नहीं डूबता। ४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो धम्मराए जयतिए । मंत्र- ॐ णमो भगवते ह्रीं श्रीं क्लीं अहँ नमः स्वाहा। फल- गर्भपात व अकाल मरण नहीं होता। ५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो धणबुद्धि (बुड्डि) कराए। मंत्र- ॐ पद्मिने नमः फल- चोरी गया वा जमीन में गड़ा धन तथा खोया हुआ गोधन मिलता है। ६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पुत्तइच्छी (त्थि?) कराए। मंत्र- ॐ णमो भगवते ह्रीं श्रीं ब्रां ब्रीं क्षां क्षी द्रौं ह्रौं नमः स्वाहा। फल- सन्तति व सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। ७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो माहणझाणाए। मंत्र- ॐ णमो भगवते शुभाशुभं कथयित्रे स्वाहा। फल- परदेश गये स्वजन की २७ दिन के भीतर खबर मिल जाती है। इष्ट व्यक्ति का
__ आकर्षण होता है। ८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो उन्ह (उण्ह) गदहारीए। मंत्र- ॐ णमो भगवते मम सर्वांगपीड़ाशांति कुरु कुरु स्वाहा। फल- १२ प्रकार का उपदंश, पित्तज्वर व सर्व प्रकार का ज्वर शान्त होता है। ९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो को पं हं सः । मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं ह्मलीं त्रिभुवन हूँ, स्वाहा। फल- सर्प, गोह,बिच्छू और छिपकली आदि का विष असर नहीं करता। मंत्र से झाड़ने से
शांत होता है। १०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो (क्ख?) रपणासणाए।
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