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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
स्तम्भे , हम्ल्यूँ स्तम्भिनि (अमुकं) मोहय २ मम वश्यं कुरु २ स्वाहा। विधि- इस मंत्र के जाप से जो भी साधे स्त्री या पुरुष तो परस्पर में आकर्षण उत्पन्न
होता है। मनुष्य साधे तो स्त्री तथा स्त्री साधे तो पुरुष वश में होता है। ४०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो उण्हसीयबाहाविणासयाणं मधुसवीणं।
मंत्र-ॐ नमो भगवते भल्वयूँ नमः (स्वाहा)।
विधि- श्रद्धा पूर्वक जपने से सर्व प्रकार के विषम ज्वर शांत होते हैं। ४१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वप्पलाहकारयाणं अमइसवीणं ।
मंत्र-ॐ नमो भगवते ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ब्लूँ नमः स्वाहा।
विधि- सश्रद्धा जपने से शत्रु के शस्त्रादि कुण्ठित हो जाते हैं। ४२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो इत्थिरत्तरोअणासयाणं अक्खीण महाणसाणं।
मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ अ सि आ उ सा भूर्भुवः स्वः चक्रेश्वरी देवी सर्वरोगं भिंद २ ऋद्धिं वृद्धि कुरु २ स्वाहा। विधि- १०८ बार प्रतिदिन जपने से स्त्री सम्बन्धी कठिन रोंगों का नाश होता है,
सर्व सिद्धियाँ प्राप्त होती है। ४३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो बंदिमोअगाणं सबसियदणाणं ।
मंत्र-ॐ नमो भगवति हिडिम्बवासिनि! अल्लल्लमांसप्पियेन हयलमंडलपइट्टिए तुह रणमत्ते पहरणदुढे आया समंडि पायालमंडि सिद्धमंडि जोइ णिमंडि सव्वमुइमंडि कज्जलं पडउ स्वाहा। विधि- अँधियारी अष्टमी के दिन ईशान कोण की ओर मुख करके मंत्र जपें। काले धतूरे के तेल से नारियल की खोपड़ी में काजल पाड़ें। उस काजल से कपाल पर त्रिशूल का निशान बनाने व आँख में डालने से सर्व प्रकार के भय नष्ट होते हैं और चित्त की उद्विग्नता दूर होती है। ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अक्खयसुहदायस्स बड्ढमाण बुद्धिरिसिस्स। मंत्र- ॐ नट्ठट्ठमयट्ठाणे पणट्ठकम्मट्ठनट्ठसंसारे। परमट्ठनिट्ठिअढे अट्ठगुणाधसिरं वंदे। विधि- नमक,राई, नीम के पत्ते, कड़वी तूमड़ी का तेल और गूगल इन पाँचों को उक्त मंत्र से मंत्रित करें। पश्चात् पिछले पहर प्रतिदिन ३०० बार हवन करने से रोग, दुश्मन तथा कष्टों का नाश होता है।
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