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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि- मन्त्र जप से राज- भूत- पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-हस्ती-सिंह-सर्पादि का भय नष्ट होता है। ३४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो भूतावाहावहारयाण विट्ठोसहिपत्ताणं । मंत्र-ॐ नमो अरिहंताणं ओं नमो भगवइ महाविजजाए सत्तट्ठाए मोर हुलू २ चुलु २ मयूर वाहिनीए स्वाहा। विधि- पौष कृष्णा १० को निराहार रहकर १००८ जप करें । फिर परदेश गमन के समय, व्यापार के समय ७ बार स्मरण से लक्ष्मी व अन्न का लाभ होता है। ३५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो मिगीरोअवारयाणं मणबलीणं । मंत्र-ॐ नमो अरिहंताणं ज्म्ल्व यूँ नमः ओं नमो सिद्धाणं भम्ल्यूँ नमः, ओं नमो आइरियाणं स्म्ल्यूँ नमः, ओं नमो उवज्झायाणं हम्ल्यूँ नमः, ओं नमों लोए सव्वसाहूणं छ्म्ल्यूँ नमः(अमुकस्य)संकट मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- साफ चौकी पर मंत्र लिखकर पार्श्वनाथ भगवान् की प्रतिमा को पधरावें। फिर चमेली के फूल चढ़ाते हुए ५०० जप करें खड़े होकर। सर्व संकटों का नाश होता है। सर्वत्र जय होती है। ३६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वालवसीयरण कुसलाण वचणबलीणं। मंत्र-ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभाय चन्द्रेन्द्रमहिताय नयनमनोहराय ओं चुलु २ गुलु २ नील भ्रमरि २ मनोहरि सर्वजनवश्यं कुरु २ स्वाहा। विधि- पीली गाय के घी में दीवाली को मिट्टी के बर्तन में काजल बनावें। पश्चात् समय पर काजल आँख में लगाने से सर्वजन वश में होते हैं। ३७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वराज-पयावसीयरण कुसलाणं कायबलीणं। मंत्र-ॐ अमृते अमृतोद्भवे अमृतवर्षिणि अमृतं स्त्रावय २ सं सं क्लीं क्लीं (हूँ हूँ ) ब्लू ब्लूँ (हाँ ह्राँ) द्राँ द्रीं (ह्रीं ह्रीं ) द्रवय २ ह्रीं स्वाहा। विधि- मंत्रित जल से आचमन करने से भूत-ग्रह-शाकिनी आदि उपद्रवों का नाश होता है। ३८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो दुस्सहकट्ठणिवारयाणं खीरसवीणं। मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं ऐं अहँ क्लीं ब्लैं भ्रौं यूँ नमिऊण पासनाह दुरवारिं विजय कुरु कुरु स्वाहा। विधि- सवा लाख जप से चिन्तित कार्यों की तत्काल सिद्धि होती है। ३९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वजरसंतिकरणाणं सप्पिसवीणं मंत्र- म्ल्यूँ क्लीं जये विजये जयंते अपराजिते ज्म्ल्यूँ जंभे भप्यूँ मोहे मम्ल्धयूँ 203
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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