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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर ह्रीं णमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं णमो लोए सव्व साहूणं, ॐ ह्रीं णमो णाणाय ॐ ह्रीं नमो दंसणाय ॐ ह्रीं णमो चरित्ताय ॐ ह्रीं णमो तवाय, ॐ ह्रीं त्रैलोक्यवशंकराय ह्रीं स्वाहा। विधि- १०८ बार मंत्रित जल को रोगी को पिलाने व छींटा देने से नजर (दृष्टिदोष) दूर होती है। २८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो उवदववजणाण घोरगुणाणं । मंत्र-ॐ ह्रीं अरिहन्तसिद्ध आयरियउवज्झाय साहू चुलु चुलु हुलु हुलु कुलु कुलु मुलु मुलु इच्छियं मे कुरु कुरु स्वाहा । विधि- एक लाख जप से तीन लोक में जय प्राप्त होती है, पराधीनता नष्ट होती है। मनोरथ सिद्ध होते हैं २९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो देवाणुप्पियाणं घोरगुणबंभचारीणं। मंत्र- ॐ तेजोहं सोम सुधा हंस स्वाहा। ॐ अहँ ह्रीं क्ष्वीं स्वाहा। विधि- भोजपत्र पर लिखकर मोमबत्ती पर लपेटें। फिर मिट्टी के कोरे घड़े में डालन से दाह ज्वर नाश होता है। ३०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अपुव्वबलपदाईणं आमोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ णमो जिणाणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोअगराणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय ओं ह्रीं कर्णपिशाचिनी मुण्डे स्वाहा। विधि- सोने से पूर्व १०८ बार पढ़कर सोने से स्वप्न में संभावित शुभाशुभ का ज्ञान होता है। ३१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो इट्ठविण्णत्तिदावयाणं खेलोसहिपत्ताणं। मंत्र-ॐ ह्रीं पार्श्वयक्ष दिव्य रूपाय महा (घ?) वर्ण एहि २ आँ क्रों ह्रीं नमः। विधि- श्रद्धापूर्वक जपने से दुष्ट दुश्मनों की पराजय होती है। उपद्रव शांत होता है। ३२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अट्ठमदणासयाणं जल्लोसहिपत्ताणं। मंत्र-ॐ भ्रम भ्रमकेशि भ्रमकेशि भ्रम माते भ्रम विभ्रम विभ्रम मुह्य २ मोहय २ स्वाहा। विधि- जमीन पर न गिरे सरसों के दानों को मन्त्रित कर चौखट पर डालने से घर के लोग सो जाते हैं। ३३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो असणिपातादि वारयाणं सव्वो सहिपत्ताणं। मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ग्रां ग्रीं D ग्रः क्लीं कलिकुण्ड पासनाह ओं चुरु २ मुरु २ फुरु २ फर २ किलि २ कल २ धम २ ध्यानाग्निना भस्मी कुरु २ पूरय २ प्रणतानां हितं कुरु २ हुं फट् स्वाहा। 202
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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