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मंत्र यंत्र और तंत्र
मंत्र अधिकार
मुनि प्रार्थना सागर
चउर्हं लोगपालाणं, ओं ह्रीं
अरिहंतदेवाणं नमः ।
विधि- १०८ बार जप से मनोवांछित सिद्धि होती है, जय होती है, हिंसक जानवर व चोर भय नष्ट होता है ।
२२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो तरुपत्तणासयाणं उग्गतवाणं ।
मंत्र-ॐ हत्थुमले विणुमुहुमल (ले) ओं मलिय ओं सतुहुमाणु सीस धुणता जेगया आयास पायालगतं ओं अलिंजरेस सर्व्वजरे स्वाहा ।
विधि- सात बार मन्त्र जपते हुए मुख के सामने हथेलियों को मसल कर राजादि से बात करने पर लाभ होता है ।
२३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो बज्झय ( बंधण) हरणाणं दित्ततवाणं ।
मंत्र - ॐ नमो भगवति ! चण्डि ! कात्यायनि ! सुभग दुर्भग युवतिजनानां मा कर्षय आकर्षय ह्रीं र रर्म्यूसंवौषट् देवदत्ताया हृदयं घे घे ।
विधि - सात दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जप से इष्ट स्त्री का आकर्षण होता है। २४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो रज्जदावयाणं तत्ततवाणं ।
मंत्र - ॐ ह्रीं भैरवरूपधारिणि ! चण्डशूलिनि ! प्रतिपक्ष सैन्यं चूर्णय २ धूम्र्म्मय २ भेदय २ ग्रस २ पच २ खादय २ मारय २ हूँ फट् स्वाहा ।
विधि- १०८ बार जप कर चारों ओर लकीर खैंचने से दुश्मन की सेना मैदान से भाग जाती है। साधक की जय होती है।
२५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो हिंडल मलणाणं महातवाणं ।
मंत्र - ॐ नमो भगवति ! बद्धगरुडाय सर्वविषविनाशिनी ! छिन्द २ भिन्द २ गृण्ह २ एहि ३ भगवति ! विद्ये हर हर हुं फट् स्वहा ।
विधि - मन्त्र पाठ करते जोर २ से ढोल बजाने से जहर पीड़ित का जहर उतर जाता है ।
२६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो जयपदाईणं घोरतवाणं ।
मंत्र-ॐ णमो श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविद्ये येन येन केनचित् मम पापं कृतं कारितम् अनुमतं वा तत् पापं तमेव गच्छतु ओं ह्रीं श्रीं प्रत्यङ्गिरे महाविद्ये स्वाहा।
विधि- प्रातः पूर्वाभिमुख हो तथा सायं पश्चिम मुख होकर अञ्जलि बुद्धमुद्रा में १०८ बार जपने से पर- विद्या का छेदन होता है।
२७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो खलदुट्ठणासयाणं घोरपक्कमाणं ।
मंत्र-ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं, ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं ॐ
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