________________
मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
निर्विष होने तक मारें। १९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अ& णमो अक्खिगदे(द?) णासए। मंत्र- ॐ (णमो भगवते) ह्रीं श्रीं क्लीं क्षां क्षीं नमः (स्वाहा) फल- नेत्र पीड़ा दूर होती है। भोजपत्र पर लिखकर गले में बांधने से आई हुई आँख ठीक
होती है। २०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो गिल्ल (गहिल) विल्ल (गह?) षा (णा?) सए। मंत्र- ॐ (भगवत्यै) ब्रह्मणि (ण्यै ) नमः स्वाहा। फल- आराधना से इष्ट व्यक्ति का उच्चाटन होता है। २१. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अ णमो पुफ्फि (य) ग (त?)रु ब (प?) त्ताए। मंत्र- ॐ भगवती (त्यै) पुष्पपल्लवकारीणि (ण्यै ?) फल- सूखे वन में वृक्ष लग जाते हैं। २२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो तरुव (प?) त्त पणासए। मंत्र- ॐ णमो पद्मावत्यै इल्यूँ नमः स्वाहा। फल- पुनः मधुर फल व पत्ते वृक्षों में आ जाते हैं। २३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो वज्ज (ज्झ?) य हरणाए। मंत्र- ॐ णमो (x) श्री क्लीं झां झीं यूं झः नमः । फल- राजदरबार में जय व सम्मान तथा सर्वत्र मान्यता होती है। २४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो आगास ग (गा?) मियाए। मंत्र- ॐ ह्रीं भ्रां भ्रीं षोडश भुजे (जायै) पद्मे (द्मिन्यै) प्रो (प्रौ?) हूं ह्रौं नमः (स्वाहा)। फल- अपने हाथ से गया राज्य व स्थान पुनः प्राप्त होता है। २५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो हिडक (हिंडण?) मालाणयाए। मंत्र- ॐ णमो (x) धरणेन्द्र पद्मावत्यै नमः (स्वाहा)। फल- रोग, शोक और पीड़ा का नाश होता है। सर्व रोग शांत होते हैं। हर्ष बढ़ता है। २६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो जयंदेय पासेवत्ताये। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रां श्रीं श्रृं श्रः पद्मे (द्मायै ) नमः (स्वाहा)। फल- राज्य सभा में साधक की सम्मति तथा कथित वचन श्रेष्ठ माने जाते हैं। २७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो खलदुट्टणासए। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं धरणेन्द्र पद्मावती बलपराक्रमाय नमः (स्वाहा)। फल- दुश्मन परास्त होता है और बैर-विरोध छोड़कर शांत होता है।
207