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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर विधि-इस मंत्र के १ लाख जप से तीन लोक में जय प्राप्त होती है। पराधीनता नष्ट होती है। (13) अपकीर्ति निवारण मंत्र- ॐ ह्रीं अपकीर्युपद्रव निवारकाय श्री शान्तिनाथाय नमः। (14) मोक्ष साधन के लिये- ॐ ह्रीं मोक्ष पुरुषार्थ सिद्धिं साधन करण समर्थाय श्री शान्तिनाथाय नमः (स्वाहा)। विधि : श्री सुपार्श्वनाथ भगवान् के स्मरणपूर्वक मंत्र का जाप करने से विषम कष्ट भी दूर हो जाते हैं। ( 15 ) बेचैनी दूर मंत्र- ॐ हंसः हंसः। विधि- किसी कारण से कोई स्त्री-पुरुष बेचैनी अनुभव करते हों तो उस समय उपरोक्त मंत्र से पानी को २० बार अभिमन्त्रित कर पिलाने से तुरन्त बेचैनी दूर होती है। (16) भोजन पचाने का मंत्र- ओं नमों आदेश गुरु को अगस्त्यं कुंभकरणं च शतिं च वडवानलः आहार पाचनार्थाय स्मरत भीमस्य पंचकम् स्फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा। विधि- खाना खाने के बाद सात बार मंत्र पढ़कर पेट पर हाथ फेरें तो अधिक खाया हुआ खाना हजम हो जाता है। (17) - सम्मान वर्धक एवं लाभ प्रदायक मंत्र : ऊं हत्थुमले विणु मुहु मले ओं मलिय ओं सतुहु माणु सीस धुणता जे गया आयास पायाल गतं ओं अलिंगजरेस सर्व जरे स्वाहा। विधि : इस मंत्र को सात बार जपते हुए मुख के सामने अपनी दोनों हथेलियों को मसलकर और अपने मुख के ऊपर फेरकर जिस व्यक्ति से मिलें वह सम्मान करे ।। (18) कुश्ती जीतने का मंत्र- ओं नमों आदेश गुरू को, अंगा पहरू, भुजंगा पहरूं पहरूं लोहा सार, आते का हाथ तोडूं ,पैर तोडूं मैं। हनुमन्त वीर उठ उठ नाहर सिंहवीर तूं जा उठ सोलह सौ सिंगार मेरी पीठ लगै माही हनुमन्त वीर लजावे तोही पान सुपारी नारियल अपनी पूजा लेहु अपना सा बल मोहि पर देहु मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा। विधिः किसी भी मंगलवार को गेरू का चौका लगाकर, लूंगी का लंगोट बांधकर धूप-दीप देकर हनुमान जी की पूजन करें। फिर उसी दिन तक प्रतिदिन 108 की संख्या में मंत्र का जप करें तथा मंगलवार के दिन पान-सुपारी एवं खोपरे का भोग रखें। अन्य दिन भोग के लिए लड्डू रखा करें। इससे मंत्र सिद्ध हो जाने पर आवश्यकता के समय अर्थात् कुश्ती लड़ने से पूर्व हनुमान जी को नमस्कार (दंडवत् )करके 7 बार इस मंत्र को अपने ऊपर पढ़कर अखाड़े में उतरे तो अपने प्रतिद्वन्दी पर विजय प्राप्त होती है। ( 25 ) बुरे स्वप्न वा अपशकुन निवारण मंत्र-ऊँ णमो अरहंताणं दीवोत्ताणं, सरणगइ पइट्टाणं अप्पडिदृश्यवर, णाणंदसण धाराणं, विअट्टछउम्माणं ऐं स्वाहा। 193
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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