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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
विधि- इस मंत्र का सात बार जाप करके अपना रक्त निकालें फिर उस रक्त को करंज के
तेल में मिलावें फिर कमल पुष्प की डंडी का डोग सूत्र निकालें फिर उस डोरे की बाती बनावे। उस बाती को रक्त मिला हुआ करंज के तेल में डालकर बत्ती को जला
देवें फिर काजल उपाड़ कर आंख में अंजन करने से मनुष्य अदृश्य हो जाता है। (5) डूबती नाव बचाने का मंत्र- ओं ह्रीं थंभेउ जल जलणं दुटुं थंभेउ स्वाहा। विधि-शुभ मुहूर्त में ११००० जाप से मंत्र सिद्ध कर लें। जब आवश्यकता पड़े, नाव
डूबती हो, तब इसके जाप मात्र से नाव डूबने से बच जायगी। (6) अनाज में कीड़ा नही पड़ने का मंत्र- ओं नमो भगवउ रिद्ध करी सिद्ध करी वृद्धि
करी, अणिमा, महिमा ए धान सुलै तो बालीनाथ अचल गुसांई की आण। विधि- पहले इस मंत्र को २१ दिन तक नित्यप्रति एक माला फेर कर सिद्ध करें। फिर नदी के किनारे २१ कंकड़ों को अभिमंत्रित कर अनाज में रखें तो उसमें कीड़ें नही पड़ें (7) पशु रोग निवारण मंत्र- ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः । विधि- गाय के गले में जो घंटी लटकी रहती है उस घंटी में खड़िया मिट्टी से मंत्र लिखकर
गाय के गले में बांध दें। उस घंटी की आवाज जितनी दूर सुनी जायेगी उतनी दूर
तक के हर पशुओं की रोग पीड़ा शांत हो जायगी। (8) गाय भैंस के दूध बढ़ाने का मंत्र- (अ) ॐ ह्रीं कराली पुरुष मुख रूपा ठः ठः । विधि- उपरोक्त मंत्र से २१ बार जल अभिमंत्रित कर गाय भैस के आंचल पर रोज लगाने
से दूध बढ़ाता है। (9) ओं हँकारिणे प्रसर शतीत। विधि- कार्तिक शुक्ला १४ के दिन एक माला फेरने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर रोज
घास अभिमंत्रित कर खिलाने से दूध बढ़ता है। (10) सैनिक घायल नहीं होता- ॐ नमो भगवते वंभयारि नमो ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ब्लूं नमः
(स्वाहा) विधि- संग्राम में तीर, तलवार, बरछा, भाला आदि शस्त्र साधक को घायल नहीं कर
पाते। (11) पथ कीलित हो जाता है- ॐ ह्रीं श्रीं क्रौं भवीं रं रं हं हः म मः स्वाहा। विधि- १०८ बार मंत्रित कंकरी चारों दिशाओं में फेंकने से पथ कीलित हो जाता है तथा
सप्त भय भाग जाते हैं। (12) पराधीनता नष्ट मंत्र- ॐ ह्रीं अरिहन्त सिद्ध आयरिय उवज्झाय साहू चुलु चुलु हुलु
हुलु कुलु कुलु मुलु मुलु इच्छियं मे कुरु कुरु स्वाह
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