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जाये तब किया जाता है। जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि सींग खाद में चंद्रमा की शक्तियों का असर है। अतः चंद्रमा की अमृतमय शक्तियों का अधिक लाभ प्राप्त होने के लिए शुक्ल पक्ष में पंचमी से पूर्णिमा के बीच इसका उपयोग करना लाभप्रद होगा। बायोडायनामिक पंचाग देखकर दक्षिणायन चंद्र में भी इसका उपयोग किया जाये। अमावस के आसपास किया गया उपयोग चंद्र बल की कमी से लाभप्रद नहीं होगा। (9) उपयोग विधि--
30 ग्राम सींगखाद तेरहलीटर पानी में मिलाएं। पानी कुवेंका अथवा ट्यूबवेल का हो, नल का नहीं हो। इस तीस ग्राम सींगखाद को पानी में अच्छी तरह मिलाएं। इस मिश्रण को एक बाल्टी में डाल कर एक लकड़ी के डंडे की मदद से गोल घुमाया जाता है ताकि उसमें भंवर पड़ जाये। एक बार भंवर आने पर फिर पलट दी जाती है। इस तरह सींग खाद व पानी के मिश्रण को एक घंटे तक अवर - नवर घुमाया जाता है। इस मिश्रण को झाडू या ब्रश की मदद से एक एकड़ में छिड़क दिया जाता है। उस मिश्रण का उपयोग एक घंटे में कर लेना चाहिए।
ध्यान रहे कि सींग खाद का उपयोग संध्याकाल में किया जाये तथा जमीन में नमी हो। अधिक क्षेत्रफल में सींग खाद का छिड़काव करने के लिए बर्तन जैसी कोठी आदि का प्रयोग घोल बनाने के लिए तथा स्प्रेपंप बिना नोजल का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है। स्प्रेपंप का साफ होना आवश्यक है। उसमें कोई रासायनिक अवशेष नहीं हो।
सींग खाद का लाभ--
सींग खाद के दो-तीन साल के नियमित उपयोग से जमीन में गुणात्मक सुधर आ जाते हैं। जमीन में जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है। केंचुए तथा ह्यूमस बनाने वाले जीवों की संख्या बढ़ जाती है। जमीन भूर-भूरी होने से जड़ेंगहराई तक जाती हैं तथा मिट्टी में नई शक्ति चार गुना बढ़ जाती है। दलहनी फसलों की जड़ों में नोड्यूलस की संख्या बढ़कर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
सींग सिलिका चूर्ण नुस्खा 501
इस नुस्खे का नाम सींग सिलिका कर नुस्खा नं. 501 है। सींग सिलिका बनाने के लिए आवश्यक है कि रवेदार चकमक पत्थर का (QWARTZCRYSTAL) बहुत ही महीन चूर्ण तथा गाय के सींग के खोल में भरकर बसंत ऋतु के अंत में जमीन में गाड़कर शरद ऋतु में बाहर निकाला जाये अर्थात् पूरे गर्मी के महीनों में जमीन के अंदर रहता है और इस तरह गर्मी के मौसम की तरह काम करने की शक्ति
. स्वदेशी कृषि
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