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7. बाड़े में मुलायम कचरा मिट्टी हर सप्ताह डालकर गोबर-गोमूत्र का पूरा लाभ
लेना 8. खेत में से फसल निकालने पर खाली जगह में हर सप्ताह अदल-बदल करके
पशु रखना 9. खर-पतवार आदि से कंपोस्ट खाद बनाना 10. मूत्र में दस गुना पानी मिलाकर उसका छिड़काव फसल पर कम से कम तीन
बार करना 11. छाछ, दूध आदि में पानी मिलाकर फसल पर छिड़काव 12. तुरत-फुरत खाद हौदी में गोमूत्र गोबर-गुड़ के पानी से दस दिन में तैयार करना 13. आच्छादन 14. केंचुओं द्वारा खाद 15. गो-सिंग खाद 16. गो-सिंग सिलीका खाद 17. जीवाणु खाद 18. अमृत पानी 19. पंचगव्य 20. हड्डी चूर्ण 21. खली 22. राख 23. आदमी का मलमूत्र 24. गोबरगैस प्लांट स्लरी 25. समुन्दर का फेन 26. नील-हरित शैवाल 27. तालाबों की मिट्टी 28. अग्निहोत्र आदि।
किसान को जहाँ जो चीज उपलब्ध होगी उसका उपयोग करके जमीन की शक्ति में निरंतर बढ़ोत्तरी करते जाने का पुरुषार्थ करना है। अपने खेत पर उगाई फसल की बीमारी रोकने की दवाई भी वे बनावें।
भूमि को स्वस्थ-सशक्त बनाने के और फसल पर बीमारी न आये ऐसे निरोध कि और बीमारी लगने पर उस पर इलाज करने की चर्चा हम आगे करेंगे।
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स्वदेशी कृषि