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खोजा कि जहाँ-जहाँ देश के किसानों के पास स्वदेशी बीज उपलब्ध है वो स्वदेशी बीज लेकर हम बीज से बीज बनाने का एक नया अभियान शुरु कर रहें है। जैसे हमको स्वदेशी बीज मिल गया चावलों का, हमारे उत्तर प्रदेश में जो पहाड़ का इलाका है जैसे चमोली है, गढ़वाल है, पौड़ी है, उत्तर काशी है, टेहरी है, वगैरह-वगैरह, इस इलाके में स्वदेशी चावल का बीज अभी-भी मौजूद है। तो हमारे साथियों ने उसको इकट्ठा करना शुरु किया और वो इकट्ठा कर के उस बीज को हम फिर से उत्पादित कर के दूसरे गाँव के लोगों को वो बीज बाँट रहें है और कह रहे हैं कि तुम भी अपने खेत में लगाओ। बीज पैदा करो किसी तीसरे को बेचो, तीसरे को कहते हैं कि तुम लोग बीज पैदा करो; किसी चौथे को बेचो। इस तरह से बीज से बीज बनाने का अभियान हम लोगों ने शुरु किया है। आप भी यह अभियान चला सकते हैं, अपने गाँव में आप यह देखिए कि इस विदर्भ के इलाके में या यवतमाल जिले में ही मान लीजिये कितने स्वदेशी बीज हैं जो बच गए। अगर एक तरफ से सर्वे करने के लिए निकला जाये, सर्वेक्षण करने के लिए निकला जाए तो जरुर मुझे उम्मीद है कि कुछ ना कुछ गाँव यवतमाल में, विदर्भ में, ऐसे जरुर मिलेगें। कुछ ना कुछ किसान ऐसे जरुर मिलेगें जिन्होंने बीज बचा के रखा है अभी-भी,जिनके पास स्वदेशी बीज हैं। तो वो स्वदेशी बीज किसानों से लेकर हम जगह-जगह, हमारी योजना यह है कि सीड्स फार्म हम बनायें, जैसे मान लीजिये 20 गाँव हैं या 25 गाँव है, 20-25 गाँव का एक समूह बना दिया जाए और उन 20-25 गाँव का समूह बनाकर उन 20-25 गाँव के बीज की जरुरत को पूरा करने के लिए उन 20-25 गाँव के किसानों से जमीनें लेकर उनमें बीज लगाकर फसल पैदा कर के दोबारा से बीज बनाया जाये। उन 20-25 गाँव के किसानों को बाँटा जाए कि भाई आप अपने-अपने खेत में अब यह बीज लगाओ और पैदा करो और दूसरों को बेचों तो संकरित बीज से हम बाहर निकलेगें और स्वदेशी बीज की तरफहमारी पकड़ मजबूत होती चली जायेगी। और इस स्वदेशी बीज को बढ़ाना ही पड़ेगा क्योंकि तत्व उसमें है पोषकता उसमें है ताकत उस स्वदेशी बीज में है, संकरित बीज में कोई ताकत नहीं है। कोई पोषकता भी नहीं है।
ऐसे ही भारतीय खेती के विदेशीकरण को दूर करने के लिए एक दो छोटे-छोटे काम हमको और करने पड़ेगें। अब हमारी मिट्टी में दम नहीं रहा। धीरे-धीरे मिट्टी बेकस हो गई, तो दम नहीं रहा इस मिट्टी में, इस मिट्टी को पुनर्जीवित करना होगा
और इस मिट्टी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए हमको ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ ध्यान देना होगा, प्राकृतिक तरीके से खेती करने के बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा, ताकि मिट्टी की जो जान निकल गई हैवो वापस आ सके। और मुझे भरोसा
स्वदेशी कृषि