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जरुरत हो या ना हो। वो कैसे कहता है- There the special treetment is not to be continued at by end of the implement tension period the member consult shell implement the provision of paragraph six below in such case after the and of the implement tension period a minimum access opportunity for the designated product shall be mention at the level of 8% of corresponding domestic consumption in the Bess period in the schedule of the member consult.
मतलब क्या है इसका। 1986 से 1988 के साल में भारत के लोगों ने जो अनाज खाया था। कुल मिलाकर वो था लगभग 24-25 करोड़ टन। तो 24-25 करोड़ टन जो हमने कुल अनाज खाया। उस अनाज का आठ प्रतिशत हर साल हमको विदेशों से खरीदना ही पड़ेगा। चाहे उसकी जरुरत हो या ना हो। अभी जैसे मान लीजीए हमारे यहाँ गेहूँ की जरुरत नहीं है विदेशों से खरीदने के लिए। लेकिन खरीदना पड़ेगा हमको। शक्कर की जरुरत नहीं है विदेशों से खरीदने के लिए। लेकिन खरीदनी ही पड़ेगी। जबरदस्ती लेनी पड़ेगी। और यह नियम हमारे देश पर कितने खतरनाक तरीके से लागू होगा। क्योंकि भारत की आबादी 98 करोड़ है। इसलिए हमारी घरेलू खपत (डोमेस्टिक कंज्मशन) भी ज्यादा है। हमारे यहाँ लोग ज्यादा हैं। हमारे यहाँ जनसंख्या ज्यादा है। इसलिए हमारे यहाँ अनाज का उपयोग भी ज्यादा है। और जिन देशों में जनसंख्या बहुत कम,जिन देशों में लोग बहुत कम हैं वहाँ पर अनाज का उपभोग भी बहुत कम है। तो उन देशों के लिए तो यह नियम बहुत अच्छा है। क्योंकि बहुत थोड़ा सा उनको खरीदना पड़ेगा। लेकिन हमारे देश में तो जनसंख्या सबसे ज्यादा है। विलायत में जितने देश मेम्बर हैं WTO के, उन सभी देशों में सबसे ज्यादा संख्या वाला देश है भारत।
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है चीन। लेकिन चीन गैट का मेम्बर नहीं है। तो चीन पर यह नियम लागू नहीं होता। तो भारत सबसे अधि कि जनसंख्या वाला देश है इस गैट के देशों में। तो भारत के उपर यह नियम लागू होगा तो पूरी तरह से सत्यानाश हो जायेगा इस देश का। तो हर साल हमको करीब-करीब 8 प्रतिशत अन्न खरीदना ही पड़ेगा। और यह कितना बैठेगा और फिर इस नियम में एक चीज और जोड़ी गई है। हर साल हमको यह जो बाहर से खरीदने वाला अन्न है। इसमें 0.8 प्रतिशत तो खरीदना ही है। और हर साल इसमें 0.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती चली जायेगी। तो लगभग सन् 1999 तक आते-आते क्या स्थिति होगी।
सन 1999 आते-आते हमको हर साल दो करोड़ टन अनाज बाहर से खरीदना ही पड़ेगा। चाहे उसकी हमको जरुरत हो या ना हो। अब आप जानते हैं कि जबरदस्ती ४६
___ स्वदेशी कृषि