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आस-पास मैसूर नाम के राज्य में एक लाख से ज्यादा तालाब हुआ करते थे। हिन्दुस्तान में आजादी के पहले करीब साढ़े सात लाख गाँव होते थे और आश्चर्य इस बात का निकलता है कि दस्तावेजों के आँकड़ों के अनुसार कि इस देश का कोई भी गाँव ऐसा नहीं कि जिसमें तालाब न बना होता और आँकड़े तो यह बताते हैं कि बहुत सारे गाँव इस देश में ऐसे रहे हैं जहाँ एक से ज्यादा तालाब एक ही गाँव में रहे हैं। तो साड़े सात लाख गाँव का देश था भारत आजादी के पहले और करीब-करीब हर गाँव में एक तालाब की व्यवस्था थी तो लगभग साढ़े सात लाख तालाब पूरे देश में रहे होंगे। इससे ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि कुछ गाँव में एक से ज्यादा तालाब होने की व्यवस्था थी।
तोतालाब बहुत बड़ी संख्या में रहेहैं। कुएं बहुत बड़ी संख्या में रहे हैं। बावडियां बहुत बड़ी संख्या में रही हैं। बारिश की होने वाली एक-एक बूंद को हिन्दुस्तान में पूँजी की तरह से बचाने की परंपरा रही है। जिस राजस्थान को आज हम जानते हैं और हम राजस्थान के बारे में ऐसा मानते हैं कि बहुत मरुभूमि हैराजस्थान की जहाँ पानी की बहुत कमी है। जहाँ पानी की बहुत किल्लत है। उस राजस्थान में ऐसी परम्परा पिछले हजारों साल से है कि बारिश की गिरने वाली एक-एक बूंद को संचित रखने की सबसे बड़ी परम्परा अगर इस देश में कहीं है तो राजस्थान में। आपराजस्थान मेंजाईए जैसलमेर के इलाके में जहाँ पर यह माना जाता है कि सबसे ज्यादा सुखा पडता है। उस जैसलमेर के इलाके में आप आजू-बाजू के गाँव में घूमिए, हर गाँव में आपको तालाब मिल जायेगा और जैसलमेर शहर के नजदीक ही सबसे बड़ा तालाब मौजूद है। जो करीब चार-पाँच सौ साल पुराना है और आज भी उसमें पानी है। कभी वहाँ लहराते तालाब हुआ करते थे। बड़े-बड़े तालाब हुआ करते थे। यह तो अंग्रेजों के कुछ कानून थे और अंग्रेजों की कुछ व्यवस्थायें थी। जिन्होंने भारत के तालाबों को सुखा दिया और भारत के तालाबों को बर्बाद कर दिया।
तालाबों की बड़ी गहरी परम्परा रही है इस देश में और कृषि का उत्पादन उसी के आधार पर है। पानी जितनी प्रचुर मात्रा में है उतना ही उत्पादन अधिक होता रहा है इस देश में इसलिए खेती का उत्पादन इस देश में बहुत रहा है और खेती के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक और है। भारत में खेती के साथ-साथ पशुधन भी बहुत बड़ी मात्रा में रहा है। पशु की संख्या भी इस देश में बहुत बड़ी मात्रा में रही है और कृषि कर्म को टिकाए रखने के लिए पशुओं की संख्या इस देश में बड़ी जबरदस्त मात्रा में रही है। करोड़ों-करोड़ों की संख्या में जानवरों को पालने की परम्परा इस देश के लोगों में बहुत गहरे से बैठी हुई है। तो कृषि है। कृषि के लिए केन्द्र जो बन सकती है। वो गाय इस देश में रही है। बैल रहे हैं इस देश में, उनका गोबर है। गोबर स्वदेशी कृषि