________________
हो जाता है। भारत में इस तरहसे कभी टेम्प्रेचर बहुत नीचे भी नहीं जाता और कभी ऊपर भी नहीं जाता। तो भारत की जलवायू समसीतोष्ण है। जो खेती के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और पानी की व्यवस्था इस देश में बहुत प्रचुरता में है। हजारों सालों से इस देश में पानी की मात्रा काफी रही है। बारिश का होने वाला पानी, बारिश से मिलने वाला पानी, जमीन के अंदर मिलने वाला पानी और जमीन के ऊपर तालाबों के माध्यम से मिलने वाला पानी। इन सभी की प्रचुरता भारतीय समाज में काफी लम्बे समय से रही है। इसलिए भारत की खेती बहुत उन्नत रही है और भारत का किसान बहुत उन्नत रहा।
तो भारत की खेती और भारत के किसान के उन्नत होने के पीछे जो सबसे प्रमुख कारणों में से एक कारण है। एक तो जलवायूका सातत्य। मौसम का सातत्य। मौसम का लगातार निरन्तर रुप से प्रवाहित होना, पानी की उपलब्धता बहुत अच्छी मात्रा में होना और खेती की जमीन बहुत अच्छी नरम होना, यह तीन बड़े कारक हैं। जिसके लिए भारतीय खेती और भारतीय कृषि कर्म बहुत उन्नत रहा और इतने उन्नत कृषि कर्म के बारे में अगर कभी अंदाजा लगाना हो कि किस तरह की खेती हमारे यहाँ होती रही है 200 साल पहले, 300 साल पहले के मेरे पास कुछ दस्तावेज हैं। हमारे यहाँ एक बहुत बड़े इतिहासकार हैं प्रोफेसर धर्मपाल उनकी मदद से हम लोगों ने कुछ दस्तावेज देखें हैं। वो दस्तावेज यह बताते हैं कि करीब आज से 300 साल पहले भारत की खेती युरोप के किसी भी देश की खेती से बहुत अच्छी मानी जाती थी। उदाहरण ले-ले इंग्लैंड का। आज से 300 साल पहले इंग्लैंड के एक एकड़ खेत में जितना अनाज पैदा होता था उसकी तुलना में आज से 300 साल पहले भारत के एक एकड़ खेत में उसका तीन गुना ज्यादा अनाज पैदा होता था। उदाहरण से अगर समझना चाहें तो ऐसे समझो कि भारत के एक एकड़ खेत में अगर 50 क्विन्टल अनाज पैदा होता था। तो इंग्लैंड के एक एकड़ खेत में मुश्किल से पंद्रह-सोलह क्विन्टल अनाज पैदा होता था। तो इंग्लैंड से तीन गुणा ज्यादा उत्पादन भारत के खेतों का रहा है आज से 300 साल पहले और भारत की उन्नत जिस तरह से खेती रही है ठीक उसी तरह की उन्नत खेती चीन की भी रही। चीन की खेती का उत्पादन भी लगभग इसी तरह का रहा है। जो भारत की खेती में रहा है।
दुनिया में दो ही ऐसे देश माने जाते हैं जिनकी खेती पिछले हजारों साल से बहुत उन्नत रही है। जिनके किसान पिछले हजारों साल से उन्नत रहें हैं। चीन और भारत की खेती के उन्नत होने का एक दस्तावेज है और एक प्रमाण है। जो यह बताता है कि लगभग 1750 AD के करीब भारत और चीन का दोनों देशों का मिलाकर कुल उत्पादन सारी दुनिया के कुल उत्पादन का सत्तर प्रतिशत होता था। स्वदेशी कृषि