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________________ काल चक्र (जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में) पहला काल सुषमा-सुषमा कोडाकाडा सागरोपम) पाठभाग हड्डियों कल्पवक्ष छहाकाल सुषमा-सुषमा कोडाकाडा सागरोपमा 256 256 कल्पवृक्ष अवक्ष पृष्ठभाग हड़ियाँ कल्पवृक्ष युगलिया सुषमा 13कोडाकोडी सागरोप 120 DhbhDI उत्तमभागभूमि उत्कृष्ट उचाईकोस उत्कृष्टआयुउपल्यापन आहार दिनबादबरबराच दिन बाद 21 दिन बाद उसमभोग भूमि उत्कृष्ट माईकोम उत्कृष्ट आयुज्याल्पोपम भारदिनबादबरबरावा कोडाकाडी सागरोपण सुषमा कल्पवृक्ष 35दिन बाद पराकाल तीस यगलिया apatjagala युगलिया बोमबार भापति सभाल थका सुषमा-दुषमा (2 कोडाकोडी सागरोपण गादिन नर्विणी काल डाकोडी सागरोपप अवसापणी चक 10 काडाकाडा सागरी Mirala उत्सर्पिणी 10 कोडाकोटी भाBE (2 कोडाकोडी सागरोपम) सुषमा-दुषमा (एक कल्पकाल) तणी काल लेडी सागरोपम 49दिलवाद Aaganataka siasts कम) आयु 120 वर्ष आहार अनियमित उकाडाकोटी सामर 12000 दुषमा-सुषमा 42000 आयु 120 वर्ष आदिमहापुरुष दुषमा-सुषमा Japan आयु 20 वर्ष आए 20 druary दुषमा 21000 वर्ष दूसराकालप पृष्ठभाषणे दुषमा 21000 वर्ष दुषमा-दुषमा 21000 वर्ष पहलाकाला पंचमका दुषमा-दुषमा 21000 वर्ष काकाल -डॉ संजीव कुमारगोधा
SR No.009364
Book TitleKaalchakra Jain Darshan ke Pariprekshya me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanjiv Godha
PublisherA B D Jain Vidvat Parishad Trust
Publication Year2013
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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