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________________ अनुभूति के स्वरों में एक ही गान। मेरे तों श्री उमेश - गुरू भगवान || वर्तमान के आप ही हो वर्धमान | माने है जिन्हें सकल जहान || ऐसे पूज्य गुरुवर के लिए कुछ लिखना मानों बरगद को गमले में सजाना चिटी का सागर तैर जाना सूरज को दिपक दिखलाना - असंभव । असीम को असीम से नापना संभव ही नहीं फिर भी नन्हीं भुजाओं से समुद्र की विराटता दिखाने का बाल - प्रयास किया जा रहा हैं । उस असीम के लिए असीम श्रद्धा के साथ.......... 3 गौरवान्वित बनी जन्म भूमि | ऋषिप्रधान भारत देश के हृदय स्थान में विराजमान- मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश का एक विभाग डुंगर प्रान्त | इसी डुंगर प्रान्त का एक जिला - झाबुआ | और झाबुआ जिले का एक प्रमुख कस्बा - थांदला । हां यह वही थांदला हैं जहाँ से लगभग 22 मुमुक्ष आत्माओं ने जन्म लेकर मोक्ष मार्ग पर आरोहण किया । यह वही थांदला हैं जहाँ महामहिम आचार्य पूज्य श्री जवाहरलालजी म.सा. का जन्म हुआ यह वही थांदला नगरी जिसनें आचार्य प्रवर पूज्य श्रीमद् उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" की जन्मभूमि कहलाने का गौरव प्राप्त किया । मारवाड़ की माटी नागौर से भाग्य - भानु चमकाने के लिए घोड़ावत-छजलाणी कुल की परंपरा के दो सगे भाई श्री कोदाजी और श्री भागचंदजी कुशलगढ़ आए | संभव हैं थांदला को इस परिवार की परंपरा में जन्में कुलदीपक के निमित्त से भारत देश में प्रसिद्धि मिलनी हो तो श्री कोदाजी को थांदला की धरा अपनी और खींच लाई और उन्होंने थांदला में व्यवसाय - चातुर्य एवं सद्व्यवहार द्वारा अच्छी साख जमा ली | धर्मप्रिय श्री कोदाजी के चार सपुत्र क्रमशः श्री दौलतरामजी श्री टेकचन्दजी श्री फतेहचन्दजी श्री रूपचन्दजी थे । इनमें से श्री फतेहचन्दजी एवं श्री कोदाजी के भ्राता श्री भागचन्दजी की परिवार परंपरा का कल्याण । में तथा श्री दौलतरामजी एवं श्री टेकचन्दजी की परिवार परंपरा का थांदला में निवास हैं ।
SR No.009363
Book TitleUmeshmuni Acharya Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashast Runwal, Jinal Chhajed
PublisherPrashast Runwal, Jinal Chhajed
Publication Year2014
Total Pages10
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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