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पंचम काल के महान साधक, वर्तमान के वर्धमान, संयम- सुमेरु, शासन गौरव, आध्यात्म योगी, ज्ञान और क्रिया के दिव्य संगम, आत्मार्थी संत रत्न, डूंगर केशरी, श्रमण-श्रेष्ठ, युगपुरूष पूज्य गुरुदेव
आचार्य श्री उमेशमनिजी उमेशमनिजी महाराज सा. "अणु
1 भक्ति गाथा का समर्पण ।
मन का मंदिर जब श्रद्धा के दिपों से झिलमिलाता हैं तब सृजन होता है - भक्ति गाथा का । यह ऐसे युग पुरूष की गाथा हैं जिनका नाम जुबां पर आते ही लाखो सिर श्रद्धा से झुक जाते हैं, वंदन के लिए हाथों की अंजलि बन जाती हैं और अंतर्मन उस परमात्म स्वरूप के सम्मुख आस्था के साथ समर्पित हो जाता हैं ।
2 असीम के लिए असीम श्रद्धा के साथ !
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जिनशासन गौरव युग पुरुष आत्मार्थी आचार्य प्रवर पूज्य श्रीमद् उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" । वह एसे महाविभूति की व्यक्ति वाचक संज्ञा है जो जाति- सम्प्रदाय समाज वाचक न रहकर अपनी संयम - साधना से ज्ञान आराधना से और शासन ममप्रता का त्रिवेणी संगम पूज्य श्री में देखा जा सकता हैं । में किया जा सकता हैं और आस्थायुक्त अर्चना से मुक्ति का
विश्ववाचक पहचान बन चुकी है प्रभावना से । सरलता सहजता भगवद् स्वरूप का दर्शन पूज्य श्री मार्गदर्शन भी लिया जा सकता हैं।
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