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प्रभोः
कल्पसूत्रे - राज्य नहीं किया। शिवीका विशाला, दीक्षा कल्याणक पौष कृष्ण एकादशी तीनसौ के पार्श्वनाथ सशब्दार्थे साथ, पहली गोचरी के दाता का नाम धन, पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्म
|चरित्रम् ।।८७६||
स्थ अवस्था का समय साढे तियासी दिन, चैत्यवृक्ष का नाम धातकीवृक्ष, केवल कल्याणक चैत्र कृष्ण चौथ, निर्वाणकल्याणक श्रावण शुक्ल अष्टमी, देह प्रमाण ९ हाथ, वर्ण नील, लक्षण सर्प, नायक गणधर आर्यदत्त, अग्रणी साध्वी पुष्पचूला, प्रव्रज्या समय ७० वर्ष गणधर संख्या आठ अथवा १० दस, साधु संख्या १६ हजार, साध्वी || संख्या ३८ हजार, श्रावक संख्या एक लाख ६४ चौसठ हजार, श्राविका संख्या तीन लाख 7 २७ हजार, साधु केवली एक हजार, साध्वीकेवली दो हजार, अवधिज्ञानी एक हजार
चारसौ, मनःपर्यायी सातसौ पचास, चतुर्दश पूर्वी तीनसौ पचास, वैकुर्विक एक हजार {} एकसौ, वादी संख्या:६०० छसौ, शासन काल अढाईसौ वर्ष, कितना पाट मोक्ष में '. गया संख्याता, शासन देव वामन, शासन देवी पद्मावती ॥२३॥
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