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कल्पसूत्रे शब्दार्थे
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छसया, सासणकालो अद्धतइयवरिसो, संखेज्जा पट्टा मोक्खं गया, सासणदेवो वामण नामा, सासणदेवी पउमावई ॥
२३ - श्री पार्श्वनाथप्रभु का चरित्र
भावार्थ जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह में पुराणपुर नाम का नगर था । उसमें व्रज्रबाहु नाम का प्रतापी राजा राज्य करता था। एक बार जगन्नाथ तीर्थंकर का पुराणपुर में आगमन हुआ। वज्रबाहु परिवार सहित उनके दर्शन करने गया । उपदेश सुनकर वैराग्य उत्पन्न हो गया। उन्होंने अपने पुत्र को राज्य भार दे दिया और जगन्नाथ तीथकर के समीप दीक्षा ग्रहण करली । वहां कठोर तप करके उन्होंने तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन किया ।
वहां से चवन दशमें देवलोक की स्थिति बीस सागरोपम, जन्म नगरी वाराणसी, पिता का नाम अश्वसेन, माता का नाम वामादेवी, आयुष्य सौ वर्ष, गर्भ कल्याणक चैत्र कृष्ण चौथ, जन्म कल्याणक पौष कृष्ण दशमी, कुंवरपद ३० वर्ष, राज गादी समय
पार्श्वनाथ प्रभोः चरित्रम्
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