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कल्पसूत्रे सशब्दार्थ ॥८५९॥
' मल्लीनाथ प्रभोः चरित्रम्
१९-श्रीमल्लीनाथप्रभु का चरित्रभावार्थ-प्राचीन काल में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सलिलावती विजय था । इस विजय की राजधानी का नाम वीतशोका था। वहां महाबल नाम का राजा राज्य करते थे। कुछ समय के बाद धर्मघोष मुनि का इस नगरी में आगमन हुआ। उनका उपदेश सुनकर महाराजा महाबल के मन में संसार के प्रति विरक्ति हो गई और दीक्षा धारण कर ली। दीक्षा धारणकर महाबल मुनिने उत्कृष्ट भावना से अनेक प्रकार की कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी जिस के फल स्वरूप उन्होने तीर्थंकर नाम कर्म का बंध किया।
देवलोक से च्यवन जयंत विमान देवलोक की स्थिति ३२ सागरोपम, जन्मनगरी मिथिला पिता का नाम कुंभसेन, माता का नाम प्रभावती, आयुष्य ५५ हजार वर्ष, गर्भ कल्याणक फाल्गुन शुक्ल चौथ, जन्म कल्याणक मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी,
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